अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तानी राजनयिक ने अफगानिस्तान में शांति के उपाय सुझाए

वाशिंगटन | अमेरिका के लिए पाकिस्तान के राजदूत एजाज चौधरी ने अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के लिए एक फार्मूला पेश किया है। डॉन ऑनलाइन की सोमवार की रिपोर्ट के मुताबिक, चौधरी ने वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति प्रक्रिया में तेजी लाने में पाकिस्तान की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बातचीत ही इस समस्या का एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है।
पाकिस्तान का यह सुझाव अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा शनिवार को यह घोषणा किए जाने के बाद सामने आया है कि 2001 से अब तक अफगानिस्तान में उसकी सेना के 2,248 जवान मारे जा चुक हैं। बयान में कहा गया है कि 2003 से अब तक इराक में 4,520 अमेरिकी सैन्यकर्मी मारे जा चुके हैं।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी ये आंकड़े ट्रंप प्रशासन के लिए चिंता का विषय हैं, जिसने अमेरिका के युद्ध खर्च को कम करने का फैसला किया है और जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र के लिए अपनी नीति की समीक्षा कर रहा है।
विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा है कि अफगान सरकार और तालिबान के बीच सुलह ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य है। चौधरी ने यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र के लिए अपनी नीति की समीक्षा कर रहा है और पाकिस्तान को इस मामले में सकारात्मक संकेत मिले हैं।
चौधरी ने शांति के लिए पांच सूत्री फार्मूला पेश किया, जिनमें समस्या का कोई सैन्य समाधान न तलाशना, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बेहतर संबंध कायम करना, बेहतर सीमा प्रबंधन, अफगान शरणार्थियों का प्रत्यावर्तन और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शामिल हैं। राजदूत के अनुसार, सभी पक्षों को अपने कौशल पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। उन्होंने साथ ही कहा कि ये मुद्दे केवल बातचीत से ही सुलझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सरकार को अपनी सभी समस्याओं के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराना छोड़ देना चाहिए।
अफगानिस्तान व पाकिस्तान की सीमा सदियों से बिना किसी नियंत्रण के रही है। दोनों देश एक-दूसरे के देश में तालिबान की घुसपैठ के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहते हैं। चौधरी ने कहा कि बेहतर सीमा प्रबंधन से ये आरोप-प्रत्यारोप बंद हो सकते हैं। चौधरी ने कहा कि चार देशों का समन्वय समूह (अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) का हालिया प्रयास एक अच्छा कदम था, लेकिन वह अपना लक्ष्य पाने में नाकाम रहा। फिर भी शांति प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।

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