राष्ट्रपति बनने में कतई दिलचस्पी नहीं : मोहन भागवत
नागपुर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उन खबरों को खारिज किया, जिनमें कहा गया है कि देश के अगले राष्ट्रपति पद की दौड़ में उनका नाम भी शामिल है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर उन्हें इस पद के लिए नामित भी किया गया तो भी वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे। यहां संवाददाताओं से बातचीत में मराठी भाषा में भागवत ने कहा, “मुझे इस पद में दिलचस्पी नहीं है। इस तरह की खबर केवल मनोरंजन करती हैं। ऐसा कभी नहीं होने जा रहा।”
केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की घटक शिवसेना ने नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया था कि वह राष्ट्रपति के पद के लिए भागवत के नाम पर विचार करे और तर्क दिया था कि यह देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन, भागवत ने बुधवार को जोर देते हुए कहा कि उनकी एकमात्र प्राथमिकता आरएसएस है।
इस बात की ओर इशारा करते हुए कि बतौर पूर्व स्वयंसेवक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ की संस्कृति से परिचित हैं, भागवत ने कहा, “यहां पहुंचने से पहले ही हम सारे दरवाजे बंद कर देते हैं। जब हम संघ में काम करते हैं, तो हम वहां (ऐसे उच्च पदों पर) नहीं जाते। वहां (सरकार में) कई स्वयंसेवक हैं और वे इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं।” भागवत ने अपने समर्थकों को खबर को लेकर चिंता न करने की बात कहते हुए कहा, “यहां तक कि अगर असंभव हालात में भी मुझे नामित किया जाता है, तो भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा।”
उन्होंने कहा, “यह मनोरंजन करने वाली खबर है और इसे उसी नजरिये से देखना चाहिए और वहीं इसे छोड़ देना चाहिए।” राष्ट्रपति का चुनाव जुलाई में होना है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का पांच साल का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है।