नई दिल्ली | केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को वित्त विधेयक 2017 लोकसभा में पेश किया। उन्होंने कहा कि चूंकि इसमें चुनावी बांड के प्रावधान शामिल हैं, इसलिए इसे वित्त विधेयक माना जाना चाहिए और इस पर केवल लोकसभा में ही बहस हो सकती है। अगले वित्त वर्ष के लिए सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को ही सामान्यत: वित्त विधेयक माना जाता है।
सदन में विपक्षी दल के एक सदस्य के प्रश्न के उत्तर में जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए नोटबंदी के कदम के बाद भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए आयकर से संबंधित कई तरह के प्रोत्साहन लागू किए गए हैं, जिसमें चुनावी बांड भी एक है। इसे राजनीतिक जीवन में काले धन से निपटने के लिए लाया गया है। इसके लिए विभिन्न अधिनियमों में संशोधन की आवश्यकता है।
जेटली ने सदन को बताया, “चुनावी बांड ऐसा ही एक प्रोत्साहन है, जिसे आयकर अधिनियम की धारा 13ए के तहत जारी किया गया है और वित्त विधेयक 2017 के खंड 11ए में इसका उल्लेख है।”
उन्होंने कहा, “ये चुनावी बांड की प्रक्रिया को परिभाषित करते हैं कि उसे किस प्रकार जारी किया जाएगा। रिजर्व बैंक कुछ चुने हुए बैंकों के साथ मिलकर चुनावी बांड जारी करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इस मामले में आरबीआई अधिनियम में संशोधन की जरूरत पड़ेगी, ताकि किसी खास बैंक को इसे जारी करने के लिए अधिसूचित किया जा सके। इस प्रावधान के लिए आरबीआई के साथ-साथ लोक अधिनियम विधेयक को भी संशोधित किया गया है।” सोमवार को लोकसभा ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच को ध्वनिमत से पारित कर दिया।