‘नीट में उर्दू शामिल करने पर विचार करेगी केंद्र सरकार’
नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह एमबीबीएस तथा बीडीएस में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अगले साल से उर्दू शामिल करने पर विचार करेगी। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ तथा न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि वह इस साल उर्दू शामिल नहीं कर सकती, पर शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए इस पर विचार करेगी।
केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी हिन्द की छात्र शाखा स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर जवाब के लिए वक्त मांगा है, जिसने कहा है कि नीट की एक भाषा के तौर पर उर्दू को हटाया जाना ‘भेदभावपूर्ण, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 तथा 21 का उल्लंघन है।’
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि इससे पहले इस संबंध में किसी भी राज्य ने कोई अनुरोध नहीं किया। हालांकि महराष्ट्र और तेलंगाना ने अब केंद्र सरकार से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया है कि नीट की एक भाषा के तौर पर उर्दू को भी शामिल किया जाए।
नीट 2017 का अयोजन सात मई को होना है, जिसके लिए आवेदन पहले ही निकल चुके हैं और इन्हें जमा करने की अंतिम तिथि एक मार्च थी। परीक्षा अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य सात भारतीय भाषाओं में होगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अधिसूचना के अनुसार, मेडिकल प्रवेश परीक्षा हिन्दी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू, गुजराती, मराठी, असमी तथा बांग्ला में होगी। याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सीबीएसई को परीक्षा उर्दू में भी कराने का प्रावधान करने का निर्देश देने की अपील की है।
हालांकि इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि भी समाप्त हो चुकी है और बहुत से अभ्यर्थी परीक्षा के माध्यम के तौर पर अन्य भाषा का चयन कर चुके हैं। याचिकाकार्ता ने कहा है, “भारत में छठी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा उर्दू को हटाना और सातवीं सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा गुजराती तथा 12वीं सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा असमी को शामिल किया जाना पूरी तरह अतार्किक है।”