शाहरपुर-कंडी पनबिजली परियोजना के करार पर हस्ताक्षर
जम्मू | जम्मू एवं कश्मीर और पंजाब की राज्य सरकारों के बीच चार दशकों के मतभेदों के बाद रावी नदी पर शाहपुर-कंडी पनबिजली परियोजना के निर्माण के एक समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। 2,285 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना के पूरा होने के बाद जम्मू एवं कश्मीर को 20 प्रतिशत उत्पादित बिजली प्रदान की जाएगी। इसके अलावा यह परियोजना कठुआ और सांबा जिलों में हजारों हेक्टेयर की बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए सिंचाई में भी सक्षम बनाएगी।
जम्मू एवं कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के करार पर शनिवार को हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कहा, “हमें कठुआ और सांबा जिलों में भूमि की सिंचाई के लिए 1,150 क्यूसेक पानी प्राप्त होगा।” सूत्रों ने कहा कि इस परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा मध्यस्थता करने के बाद दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी।
सूत्रों ने बताया कि यह हस्तक्षेप इसलिए आवश्यक था क्योंकि इस परियोजना का निर्माण कार्य चार दशकों से ठंडे बस्ते में था, जिससे दोनों राज्यों के लोग पीड़ित थे। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने रावी नदी पर 2001 में रंजत बांध का निर्माण शुरू किया था, जिसमें नुकसान झेलने के कारण जम्मू एवं कश्मीर की सरकार पंजाब की सरकार से 8,000 करोड़ रुपये का मुआवजे की मांग कर रही थी। इस बांध के कारण कठुआ जिले की बसोहली तहसील के विशाल क्षेत्र जलमग्न हो गए थे और बस्तियों को विस्थापित किया गया था।
पंजाब ने इस मुआवजे को देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से ही शाहपुर-कंडी बिजली परियोजना 40 सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही।