नीट में उर्दू भाषा शामिल करने के लिए केंद्र, सीबीएसई को नोटिस
नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने एमबीबीएस तथा बीडीएस पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) के लिए माध्यम के तौर पर उर्दू को शामिल करने की मांग वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) तथा अन्य से जवाब मांगा। न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ तथा न्यायमूर्ति आर.भानुमति ने भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) तथा भारतीय दंतचिकित्सा परिषद (डीसीआई) से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मार्च की तारीख मुकर्रर की।
याचिका दाखिल करने वाले जमात-ए-इस्लामी हिंद के छात्र संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि नीट से उर्दू भाषा को हटाना ‘भेदभावपूर्ण, मनमाना तथा संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।’ याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इससे पहले इस संबंध में किसी भी राज्य ने कोई अनुरोध नहीं किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि अब महाराष्ट्र तथा तेलंगाना ने नीट में उर्दू भाषा को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया है।
एनईईटी 2017 परीक्षा सात मई को होनी है और आवेदन पत्र पहले ही निकल चुके हैं, साथ ही आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि एक मार्च है। परीक्षा अंग्रेजी के अलावा, सात भारतीय भाषाओं में होगी।
सीबीएसई की अधिसूचना के मुताबिक मेडिकल परीक्षा हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, गुजराती, तेलुगू, मराठी, असमिया तथा बांग्ला में होगी। याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा सीबीएसई से परीक्षा में उर्दू भाषा को भी शामिल करने का निर्देश देने की अपील की है। साथ ही यह भी अनुरोध किया है कि परीक्षा के लिए आवेदन दे चुके छात्र जिन्होंने परीक्षा के लिए किसी अन्य भाषा का चयन किया है, उन्हें भी उर्दू भाषा में परीक्षा देने में सक्षम बनाएं। याचिकाकर्ता ने कहा, “भारत में छठी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा उर्दू को परीक्षा के माध्यम से हटाने का फैसला तर्कसंगत नहीं है।”