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शादी-शुदा महिलाएं भटकाती है छात्रों का मन

bc-lead-essay-may30-9_647_051916111532तेलंगाना। तेलंगाना गवरमेंट ने सामाजिक कल्याण आवासीय महिला कॉलेजों में प्रवेश के पर एक चौकाने वाला फरमान जारी किया है, जिसके अंतर्गत कॉलेजों में केवल कुंवारी लड़कियों को ही प्रवेश मिल पायेगा। इस नियम के निकालने के पीछे सरकार की दलील है कि शादीशुदा युवतियों के कॉलेजों में होने से कुंवारी लड़कियों का ध्यान भटक सकता है। शादीशुदा युवतियों के प्रवेश पर पाबंदी वाले इस फरमान पर तेलंगाना के सामाजिक कल्याण आवासीय शिक्षण संस्थान सोसायटी के एक अधिकारी का कहना है कि इस नियम के पीछे का मकसद मात्र यह तय करना है, कि अन्य लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से न भटके क्योंकि शादीशुदा युवतियों के पतियों की सप्ताह में एक बार या 15 दिन में एक बार उनसे मिलने कॉलेज आने की पूरी संभावना रहती है। इसलिये सरकार स्टूडेंट्स में किसी भी तरह का भटकाव वे नहीं चाहते हैं।
आपको बता दें कि, सोसायटी ने हाल ही में साल 2017-18 के लिए नामांकन संबंधी विज्ञप्ति जारी किया है। उसमें कहा गया है कि बीए, बीकॉम और बीएससी में प्रथम वर्ष के लिए (अविवाहित) लड़कियों के आवेदन आमंत्रित किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक इन कॉलेजों की स्थापना का उद्देश्य बाल विवाह के दुष्चक्र को तोडऩा है। साथ ही यह भी कहना है कि वों शादीशुदा युवतियों को हतोत्साहित नहीं करते हैं लेकिन कोई प्रवेश हेतु आवेदन करता है तो वे नहीं रोकेंगे। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की उनकी मंशा कतई नहीं है।
यह नियम बीते वर्ष से ही राज्य में लागू है। जिन कॉलेजों में छात्रों ने प्रवेश लिया था, उनमें 75 फीसदी सीट एससी के लिए और बाकी 25 फीसदी एसटी और सामान्य के लिए है। प्रवेश पा लिये छात्रों को शिक्षा से लेकर भोजन के साथ वे सभी सुविधाएं मुफ्त में दी जाती है जो एक आवासिय छात्र को मिलनी चाहिए।

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