राष्ट्रीय

सेना प्रमुख की आलोचना के लिए कांग्रेस, नेकां की निंदा

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नई दिल्ली | प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस तथा नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) पर अलगाववादियों जैसा बर्ताव करने का आरोप लगाया है। दोनों दलों ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने मुठभेड़ स्थलों पर आतंकियों को बचाने की कोशिश करने वाले प्रदर्शनकारियों को चेताया था। जितेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “वही राजनीतिक दल (नेकां) इस तरह की बात कर रहा है, जिसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान पाकिस्तान में आतंकवादियों के अड्डों पर बमबारी करने की मांग की थी।”
आतंकवाद रोधी अभियान पर सेना प्रमुख के बयान से कश्मीर घाटी के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जनरल रावत ने आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान कश्मीर में पथराव करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उन्होंने सेना की कार्रवाई में खलल डालने की कोशिश की, तो उन्हें राष्ट्रविरोधी समझा जाएगा। मुठभेड़ स्थलों से आतंकवादियों को भगाने के लिए इस्लामिक स्टेट (आईएस) का झंडा लिए कश्मीरी युवाओं के सैन्यकर्मियों पर पथराव से अजीब हालात पैदा हो गए हैं।
सेना प्रमुख ने कहा, “हम स्थानीय लोगों तथा युवकों से अपील करेंगे कि अगर वे आतंकवाद, आईएस और पाकिस्तान का झंडा लहराने की गतिविधियों को बरकरार रखते हैं, तो हम उनके साथ राष्ट्र विरोधियों जैसा बर्ताव करेंगे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।”
कश्मीर में विपक्षी नेकां ने सेना प्रमुख के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इससे घाटी में हालात और बिगड़ेंगे। नेकां ने एक बयान में कहा, “युवा मुठभेड़ स्थलों की ओर रवाना हो रहे हैं और मुठभेड़ के दौरान सैन्यकर्मियों पर पथराव की घटनाएं कश्मीर में अलगाव तथा मोहभंग की ओर इशारा करती हैं।” जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि राज्य में बद्तर होते हालात के लिए सरकार जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी युवाओं को धमकाना अन्याय है और यह सेना की नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की नीति हो सकती है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और कश्मीरी अलगाववादियों जैसा ही है, जिन्होंने कश्मीर में पथराव करने वालों को सेना प्रमुख द्वारा धमकाए जाने की आलोचना की है।
मंत्री ने कहा, “जब वे (कांग्रेस तथा नेकां) सत्ता में थे, तो कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा होने की कसमें खाते थे। लेकिन जैसे ही वे सत्ता से बाहर हुए, रातों रात बुद्धिजीवी बन गए और जम्मू एवं कश्मीर में सेना की भूमिका पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए।” उन्होंने कहा, “अल्पकालिक चुनावी फायदे के लिए कांग्रेस भी उन्हीं अलगाववादियों तथा अर्ध-अलगाववादियों की अनाप-शनाप बातों का समर्थन कर रही है।”

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