नई दिल्ली | पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को होने वाले चुनाव के मैदान में 1,145 उम्मीदवारों में महिलाओं का आंकड़ा केवल सात प्रतिशत है, जो सभी राजनीतिक दलों के पुरुष-प्रधान रवैये और विधायी निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के वादे का माखौल उड़ाने के लिए काफी है। चुनावी मैदान में अपने भाग्य आजमाने वाले सभी 1,145 उम्मीदवारों में केवल 81 महिलाएं हैं। इसके अलावा एक ट्रांसजेंडर चुनाव मैदान में है। चुनाव मैदान में 304 निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच 32 महिलाएं हैं। कांग्रेस ने पंजाब में सभी 117 विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस उम्मीदवारों में केवल 11 महिलाएं हैं।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बात करें तो यहां भी कोई खास अंतर नहीं नजर आता। भाजपा शिरोमणि अकाली दल का दामन थाम चुनावी मैदान में उतरी है। वह केवल 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसके प्रत्याशियों में केवल दो महिलाएं हैं। शिरोमणि अकाली दल 94 सीटों पर लड़ रही है और इसमें महिलाओं की संख्या केवल पांच है।
पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में दाखिल हुई नई नवेली आम आदमी पार्टी के 112 उम्मीदवारों में केवल नौ महिलाएं हैं। इस आकंड़े से यह अर्थ निकलता है कि देश के चार मुख्य राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के लिए करीब आठ फीसदी महिलाओं को ही चुना है।
महिला उम्मीदवारों ने बातचीत में इस पर सहमति जताई कि पंजाब के 1.98 करोड़ मतदाताओं में से 47 फीसदी महिलाएं हैं, वहां वह अभी भी पुरुष-प्रधान समाज में अपने वर्चस्व की लड़ाई में काफी पीछे हैं। शुत्राना से विधायक वरिंदर कौर लूंबा ने कहा, “पुरुष प्रधानता अभी भी हमारे राज्य में मौजूद है इसके बावजूद कई महिलाएं आगे आ रही हैं लेकिन उन्हें बहुत कम सराहना ही मिलती है।”
सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरी वरिंदर ने कहा, “मुझे महिलाओं को आगे लाने के लिए पंजाब में बहुत काम करना होगा।”
वहीं, आप उम्मीदवार सरबजीत कौर ने बताया, “महिलाओं को मुश्किल से मुख्यधारा में स्थान मिलता है। पंजाब में प्रमुख राजनीतिक दल महिलाओं को तरजीह नहीं देते हैं लेकिन महिलाएं भी पीछे रहना पसंद करती हैं। राजनीतिक दलों के कई कार्यकर्ता महिलाएं हैं। उनमें अधिकांश महिलाएं सक्रिय राजनीति में शामिल होने से दूर भागती हैं।”
उन्होंने कहा, “इसलिए इस स्थिति को बुनियादी स्तर पर बदलना होगा।” देश की सत्तारूढ़ पार्टी की बात की जाए तो भाजपा की सीमा कुमारी ने बताया कि पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं पर ध्यान दिया जाना अभी बाकी है।
उन्होंने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में ज्यादातर महिलाएं बहुत पढ़ी-लिखी नहीं हैं। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं और वह सार्वजनिक रूप से बात नहीं करती। इसके बावजूद कई महिलाएं अब पंचायत चुनाव में भाग ले रही हैं, हालांकि हमें महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत काम करने की जरूरत है।”