नई दिल्ली | दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा एक ठेकेदार को अवैध भुगतान किए जाने के आरोपों की जांच की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि कथित तौर पर इस अवैध भुगतान से सरकारी खजाने को करीब 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को मामले पर जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है और इस मामले की सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है।
‘टेलीकॉम वॉचडॉग’ द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में सीबीआई को 11 मार्च, 2016 को दर्ज की गई शिकायत की जांच का निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप है कि भारत संचार निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने निविदा दस्तावेजों के एक अनुच्छेद में फेरबदल करके अपने ठेकेदार को अवैध भुगतान किया था, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया कि बीएसएनएल के अधिकारियों और एक चीनी ठेकेदार के बीच अपराधिक सांठगांठ है, जिसका कार्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में है।
याचिका में कहा गया है कि बीएसएनएल के अधिकारियों ने चीनी कंपनी के साथ साठगांठ करते हुए निविदा दस्तावेज में एक ऐसा अनुच्छेद जोड़ दिया जिसका पहले अस्तित्व नहीं था, ताकि कंपनी को करीब 1,000 करोड़ रुपए का अनुचित भुगतान किया जा सके।
याचिका में कहा गया, “बीसीएनएल वित्तीय संकट से ग्रस्त कंपनी है, जिसे साल दर साल नुकसान हो रहा है और उसके अधिकारी कंपनी के ट्रस्टी होने के नाते उसके राजस्व की रक्षा करने के स्थान पर एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा के नियमों में फेरबदल करके इसे लूटने में लगे हैं।”