दावोस | ऐसे समय में जबकि वैश्वीकरण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, जैसा पश्चिमी देशों में हाल में मतदाताओं के रूझान से जाहिर हुआ है, भारत ने व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए विश्व समुदाय से ‘वास्तविक स्थिति’ को समझने की अपील की है। देश की वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित एक समारोह से इतर बुधवार को कहा कि विश्वभर में व्यापक असंतोष पैदा हो रहा है, खासतौर पर उन देशों में जहां पूंजीवाद और लोकतंत्र साथ-साथ मौजूद हैं। यह दर्शाता है कि यह रुककर पुनर्विचार करने का समय है।
सीतारमन ने कहा, “दुनिया को वास्तविक हालात समझने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “दुनियाभर में जो भी हो रहा है, भारत पर भी उसका प्रभाव हो रहा है। जो तीन ताकतें वैश्वीकरण में बदलाव ला सकती हैं, भारत उनमें आगे बढ़ रहा है और वे हैं – डिजिटलाइजेशन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन और संस्थागत संरचनाओं में बदलाव।” उन्होंने कहा, “हमारे गांव डिजिटल प्रशासन के लिए तैयार हैं और पिछले कुछ सालों से इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है।”
भारत के सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने सत्र में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत विकास में वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “हम राजमार्गो में विस्तार करके, बंदरगाहों के साथ ही पर्यटन, बिजली से चलने वाली बसों, कारों और जैविक ऊर्जा में निवेश करके, सड़क मार्गो का व्यापक विकास और सुधार कर रहे हैं। हमारी सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध है.. हम विकास में वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार हैं।”
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को दावोस में वरीयता मिल रही है और सभी देख रहे हैं कि भारत वैश्वीकरण में आगे बढ़ रहा है।