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बिहार: मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने चुनाव आयोग को तीन प्रमुख बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आयोग को आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी को पुनरीक्षण प्रक्रिया में आवश्यक दस्तावेजों के तौर पर शामिल करने पर विचार करने को कहा गया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय की है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार किया, यह कहते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने अंतरिम रोक की मांग नहीं की थी। अदालत ने कहा, “हम एक संवैधानिक संस्था को उसके कर्तव्यों के निर्वहन से नहीं रोक सकते।”

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जबकि याचिकाकर्ताओं को उसके एक सप्ताह बाद जवाब देने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मामला लोकतंत्र की जड़ों और नागरिकों के मतदान अधिकार से जुड़ा है। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता केवल मतदान कराने के अधिकार को नहीं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय-निर्धारण को भी चुनौती दे रहे हैं।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची ने आयोग से सवाल किया कि इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को नवंबर में प्रस्तावित चुनावों से क्यों जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पूरे देश में स्वतंत्र रूप से चलाई जा सकती है। इस पर आयोग के वकील ने भरोसा दिलाया कि किसी भी व्यक्ति को बिना सुनवाई का अवसर दिए मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।

जब आयोग ने आधार कार्ड को नागरिकता प्रमाण के रूप में अस्वीकार किया, तो सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा, “अगर नागरिकता की जांच करनी थी, तो यह प्रक्रिया पहले की जानी चाहिए थी। अब बहुत देर हो चुकी है। कोर्ट ने कहा कि पुनरीक्षण प्रक्रिया में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसका समय चुनाव से पहले होना चाहिए था। न्यायमूर्ति धूलिया ने टिप्पणी की, “एक बार मतदाता सूची अधिसूचित हो जाए, तो चुनाव के बाद कोई भी अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं करती।

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