पार्थिव की कप्तानी पारी, गुजरात पहली बार बना चैम्पियन
इंदौर | पार्थिव पटेल (143) की कप्तानी पारी की बदौलत गुजरात ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले के पांचवें एवं अंतिम दिन शनिवार को मौजूदा विजेता मुंबई को पांच विकेट से मात देते हुए पहली बार खिताब पर कब्जा जमाया है। गुजरात को जीत के लिए चौथी पारी में 312 रनों की दरकार थी। कप्तान पार्थिव और मनप्रीत जुनेजा (54) की आगुआई में गुजरात ने 89.5 ओवरों में पांच विकेट खोकर यह लक्ष्य हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। गुजरात इससे पहले 1950-51 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा था। गुजरात पहली बार फाइनल में होल्कर क्रिकेट टीम से हारा था और इ्त्तेफाक देखिए कि 66 साल बाद इस बार उसने होल्कर स्टेडियम में ही यह जीत हासिल की।
इसके अलावा गुजरात ने इस फाइनल में 87 साल के रिकार्ड को भी ध्वस्त किया है। गुजरात द्वारा तय किया गया यह लक्ष्य रणजी ट्रॉफी के फाइनल में हासिल किया गया सर्वोच्च लक्ष्य है। इससे पहले हैदराबाद ने 1937-38 के फाइनल में 310 रनों के लक्ष्य का पीछा किया था। गुजरात की इस जीत में उसके कप्तान का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पार्थिव ने पहली पारी में भी अहम समय पर 90 रनों की पारी खेल टीम को बढ़त दिलाई थी जो गुजरात की जीत में कारगर साबित हुई। उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया।
46वीं बार फाइनल खेल रही मुंबई की पहली पारी 228 रनों पर ही सिमट गई थी। इसके बाद गुजरात ने पार्थिव (90) और मनप्रीत (77) की पारियों की मदद से अपनी पहली पारी में 328 रन बनाते हुए 100 रनों की बढ़त ले ली थी। मुंबई ने दूसरी पारी में अभिषेक नायार (91), श्रेयस अय्यर (82), कप्तान आदित्य तारे (69) 411 रन बनाते हुए गुजरात के सामने 312 रनों का लक्ष्य रखा था। लक्ष्य की पीछा करने उतरी गुजरात ने चौथे दिन शुक्रवार को 13.2 ओवरों में 47 रन बनाए थे।
प्रियंक पांचाल (34), समित गोहेल (21) अंतिम दिन पहले खिताब की चाह लेकर मैदान पर उतरे। लेकिन पांचाल दिन के दूसरे ओवर में ही अपने और टीम के खाते में बिना रन जोड़े पवेलियन लौट गए।
टीम के स्कोर में चार रन ही जुड़े थे कि भार्गव मेराई (2) को बलविंदर संधु ने बोल्ड कर गुजरात को दूसरा झटका दिया। गोहेल भी 89 के स्कोर पर पवेलियन लौट गए थे। शुरुआती तीन झटकों से टीम संकट में थी और मुंबई की कोशिश यहां से पकड़ बनाने की थी।
लेकिन पार्थिव और मनप्रीत की जोड़ी ने मुंबई के मंसूबों पर पानी फेरते हुए गुजरात की मैच में वापसी कराई। इन दोनों बल्लेबाजों ने चौथे विकेट के लिए 36.1 ओवर में 3.20 की औसत से 116 रन जोड़े।
गुजरात के लिए यह जोड़ी संकटमोचन का काम करती आई है। पहली पारी में भी इस जोड़ीन् ने गुजरात के लिए चौथे विकेट के लिए 120 रनों की साझेदारी कर टीम को बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
यह दोनों जिस अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे थे उससे मुंबई की परेशानी बढ़ रही थी उसे विकेट की दरकार थी जो काफी देर बाद मिला। मनप्रीत को 205 के कुल स्कोर पर अखिल हेरवाडकर ने आउट किया। उन्होंने अपनी धैर्यपूर्ण पारी में 115 गेंदे खेलते हुए आठ चौके लगाए। यहां से मैच किसी भी टीम के पक्ष में जा सकता था। गुजरात को 107 रनों की जरूरत थी और मुंबई को पांच विकेटों की, लेकिन पार्थिव ने ऐसा नहीं होने दिया। एक छोर संभाले गुजरात के कप्तान ने रनगति भी नहीं रूकने दी और विकेट पर जमे भी रहे। दूसरे छोर से उन्हें एक ऐसे बल्लेबाज की जरूरत थी जो विकेट पर उनके साथ खड़ा रहे।
रुजुल भट्ट (नाबाद 27) ने अपने कप्तान की हर बात को बखूबी माना और उन्हें स्ट्राइक देते रहे। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 94 रनों की साझेदारी कर टीम की जीत तय कर दी। इससे पहले पार्थिव ने हेरवाडकर द्वारा फेंके गए 70वें ओवर की तीसरी गेंद पर दो रन लेकर अपना 25वां प्रथम श्रेणी शतक भी पूरा किया। इस शतक को पूरा करने के लिए पार्थिव ने 148 गेंदें खेलीं। यह उनका मुंबई के खिलाफ पांचवां शतक भी था।
गुजरात अपने पहले रणजी खिताब से महज 13 रन दूर थी तभी पार्थिव, शार्दलु ठाकुर की शॉर्ट गेंद को पुल करने के चक्कर में अपना विकेट गंवा बैठे। पार्थिव नाबाद न रह पाने के कारण थोड़े निराश थे। उन्होंने अपनी कप्तानी पारी में 196 गेंदे खेलीं और 24 चौके लगाए। चिराग गांधी (नाबाद 11) ने लगातार दो चौके लगाते हुए टीम की पहला खिताब दिलाया। मुंबई के लिए संधु ने दो विकेट लिए। ठाकुर, अभिषेक नायर, हेरवाडकर को एक-एक सफलता मिली।
मैच के बाद पार्थिव ने जीत से ठीक पहले आउट होने पर अफसोस जाहिर किया लेकिन साथ ही उन्होंने इस बात की हार्दिक खुशी जाहिर की कि उनकी टीम का रणजी जीतने का सपना पूरा हुआ है।
पार्थिव ने कहा, “यह हमारे लिए महान पल है। हम हमेशा से रणजी जीतने का सपना देखते थे। आज यह सपना सच हुआ। मैं बहुत खुश हूं। मैं अपने साथियों को इस जीत के लिए बधाई देता हूं।”