उत्तर प्रदेशप्रदेश

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पर्यावरण दिवस पर हरियाली का संकल्प, मानवविज्ञान विभाग ने लगाए पौधे

दिनांक 5 जून 2025 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एफ.सी.आई. अकादमिक परिसर में मानवविज्ञान विभाग द्वारा मौलश्री और नीम का पौधा रोपित कर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। विगत वर्ष 5 जून 2024 को भी मानवविज्ञान विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो. राहुल पटेल के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के शोध दल ने उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले की विकासनगर तहसील में निवासरत भोक्सा जनजाति के मध्य क्षेत्रकार्य के दौरान वृक्षारोपण करके विश्व पर्यावरण दिवस मनाया था जिसके अंतर्गत रुद्राक्ष, आम, नीम, अमरूद, जामुन आदि के पौधे लगाए गए थे।

कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखना तथा हरित आवरण को बढ़ावा देना था।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानवविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राहुल पटेल ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि, “पर्यावरण एक प्राकृतिक साधन नहीं है बल्कि यह मानव अस्तित्व की आधारशिला है। आज के दौर में वैश्विक तापमान में वृद्धि, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं विश्व समुदाय को चुनौती दे रही हैं। ऐसे समय में पर्यावरणीय संतुलन स्थापित करने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा प्राकृतिक विविधता के संवर्धन के लिए पौधरोपण एक सशक्त माध्यम बन सकता है।

आगे अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मानवविज्ञान मानव और प्रकृति के संबंधों को समझने का विज्ञान है। आज का यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका केवल ज्ञान के उत्पादन तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु सशक्त भूमिका भी निभाने हेतु तत्पर रहना चाहिए। पौधरोपण जैसे प्रयास हमें न केवल प्रकृति के प्रति जिम्मेदार बनाते हैं बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य देने का आधार भी रखते है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति महोदया प्रो.(डॉ) संगीता श्रीवास्तव द्वारा जिस तरह से विगत दिनों में विश्वविद्यालय परिसर में हरित विस्तार हेतु वृहत स्तर पर पौधरोपण को बढ़ावा दिया गया, पेड़-पौधों के स्वास्थ्य की निरंतर ट्रैकिंग के लिए उनपर क्यू आर कोड लगाए गए, एक होलिस्टिक आउटरीच कैलेंडर जारी कर विश्वविद्यालय के लगभग हरेक विभाग के द्वारा दो-दो चरणों में विश्वविद्यालय द्वारा पूर्णतया वित्तपोषित पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कार्यक्रम किये गए यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण के प्रति नवाचारों का ही द्योतक है।

वहीं डॉ. खिरोद चंद्र मोहराना ने कहा कि आदिवासी और पारंपरिक समाजों ने हमेशा प्रकृति के साथ समरस जीवन जिया है, आज हमें उन्हीं जीवन पद्धतियों से सीखने की आवश्यकता है जहां वृक्ष, जल और मिट्टी को माता का स्थान दिया गया है। तत्पश्चात डॉ. शैलेन्द्र मिश्र ने कहा कि प्रकृति केवल संसाधन नहीं, संस्कृति का आधार है। यदि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बचाना चाहते हैं तो प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. बीना सेंगर, प्रोफेसर, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र और फुलब्राइट फ़ेलो, फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मियामी, यू.एस.ए., ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जहां समाजों ने पर्यावरण के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए वहीं दीर्घकालीन और सतत विकास संभव हुआ। हमें इतिहास की चेतावनियों से सीख लेकर भविष्य की रक्षा करनी होगी और पर्यावरण को प्राथमिकता देनी होगी।

विभाग के पीडीएफ, डॉ. संजय कुमार द्विवेदी ने संचालन किया और कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि हम पर्यावरणीय चेतना को व्यवहार में रूपांतरित करें, आयोजनों तक सीमित रहना पर्याप्त नहीं, हमें स्थाई हरित पहल करनी होगी जिसमें शिक्षा, समाज और नीति तीनों का एकजुट योगदान हो। शोधार्थी प्रभाकर सिंह एवं आनन्द मिश्रा के साथ इस अवसर पर विभाग के कर्मी श्री अमिताभ केसरी, अमिता यादव, सुनील चौहान, प्रेमचंद, वीरपाल, शेखर आदि ने भी पौधरोपण कार्यक्रम में सहभागिता की।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close