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गंगा एक्सप्रेसवे पर दिखी वायुसेना की ताकत, राफेल, सुखोई जैसे लड़ाकू विमान गरजे

शाहजहांपुर। यूपी के शाहजहांपुर में भारतीय वायुसेना ने गंगा एक्सप्रेस-वे पर अपना दमखम दिखाया। 3.5 किमी लंबी हवाई पट्टी पर मिराज, राफेल और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान आंधी-तूफान के बीच लैंडिंग और टेक-ऑफ की प्रैक्टिस की। यह भारत का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है जो रात में भी लड़ाकू विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करता है।

शाहजहांपुर के जलालाबाद में बनाई गई हवाई पट्टी पर दोपहर करीब 12 बजकर 41 मिनट पर वायुसेना का AN-32 विमान आया। विमान ने करीब पांच मिनट तक चक्कर लगाए। इसके बाद हवाई पट्टी पर लैंडिंग की गई। करीब एक बजे यह विमान यहां से टेकऑफ कर गया। हवाई पट्टी पर हरक्यूलिस विमान ने टच डाउन किया। इसके बाद राफेल, जगुआर और सुखोई जैसे लड़ाकू विमान भी गरजे। इन विमानों ने हवा में कलाबाजियां कीं। यह देखकर वहां मौजूद लोग रोमांचित हो गए। रात में भी हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमान उतरेंगे।

अभ्यास का उद्देश्य

इस 3.5 किलोमीटर लंबे एयरस्ट्रिप का निर्माण गंगा एक्सप्रेसवे के जलालाबाद खंड पर किया गया है, जो मेरठ से प्रयागराज तक फैला हुआ है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों या युद्ध के समय में वैकल्पिक रनवे के रूप में एक्सप्रेसवे की उपयोगिता का परीक्षण करना था

तकनीकी विशेषताएं

गंगा एक्सप्रेसवे पर बने इस एयरस्ट्रिप को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह भारी सैन्य विमानों के वजन और दबाव को सहन कर सके। यह एयरस्ट्रिप उन्नत लाइटिंग और नेविगेशन सिस्टम से सुसज्जित है, जिससे कम विजिबिलिटी या रात के समय में भी सुरक्षित संचालन सुनिश्चित किया जा सके।

सुरक्षा और निगरानी

अभ्यास के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एयरस्ट्रिप के दोनों ओर लगभग 250 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय वायुसेना के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।

रणनीतिक महत्व

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का चौथा ऐसा एक्सप्रेसवे है जिस पर वायुसेना के लिए एयरस्ट्रिप बनाई गई है। इससे पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर ऐसी सुविधाएं विकसित की गई थीं। हालांकि, गंगा एक्सप्रेसवे पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है जो रात में भी लड़ाकू विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे यह भारत की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया है ।

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