पहलगाम तनाव के बीच कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, देश में जातीय जनगणना कराएगी मोदी सरकार

नई दिल्ली। पहलगाम तनाव के बीच मोदी सरकार जातिगत जनगणना करवाने जा रही है, कैबिनेट ने यह बड़ा फैसला ले लिया है। लंबे समय से विपक्ष द्वारा मांग की जा रही थी कि देश में जातिगत जनगणना करवाई जाए, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तो इसे चुनावी मुद्दा तक बनाया था। अब जब भारत और पाकिस्तान के बीच में जबरदस्त तनाव है, जब इस समय हर किसी की नजर सैन्य कार्रवाई पर है, उस बीच जातिगत जनगणना पर फैसला लेकर सरकार ने सभी को हैरान कर दिया है।
विपक्षी दलों के बीच जाति जनगणना को लेकर मचे क्रेडिट वॉर पर धर्मेंद्र प्रधान ने जवाब दिया है। प्रधान ने कहा- “कल जब यह फैसला हुआ तो कुछ लोग भड़क गए। वे कह रहे थे कि सरकार उनकी है, सिस्टम हमारा है। 1951 में सरकार और सिस्टम पर किसका नियंत्रण था? अगर देश में बाबा साहब और महात्मा गांधी नहीं होते, अगर नेहरू के मन में सामाजिक संवेदनशीलता का मुद्दा नहीं होता, अगर संविधान सभा से सलाह लेने की जरूरत नहीं होती, तो आज देश में आरक्षण नहीं होता। नेहरू जाति आधारित आरक्षण के कट्टर विरोधी थे। मंडल आयोग की रिपोर्ट को 10 साल तक किसने बंद रखा? वीपी सिंह की सरकार में भाजपा के ही सुझाव पर मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू की गई। राजीव गांधी भी ओबीसी आरक्षण के खिलाफ भाषण देते थे। कांग्रेस पार्टी हमेशा से देश के वंचित, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ रही है। इसीलिए आज उनका पाखंड दिख रहा है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया था कि मोदी सरकार पूरे देश में जाति जनगणना कराएगी। जनगणना के साथ ही जातियों की गिनती होगी। आजाद भारत में पहली बार केंद्र सरकार जाति जनगणना करवाएगी। अश्विनी वैष्णव ने जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना को कांग्रेस ने अपने लाभ के लिए इस्तेमाल किया।