चतुष्पथ यात्रा को लेकर हरियाणा पहुंची महामंडलेश्वर संजनानंद गिरि, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से की भेंट
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हरियाणा | आध्यात्मिक चेतना, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए साध्वी और महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी देश भर की यात्रा पर निकलने वाली है.साध्वी संजनानंद गिरि कामाख्या पीठ की साधिका व निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर है. जो कि देशभर में 5,340 किलोमीटर तक चतुष्पथ धर्म यात्रा कर सनातन का प्रचार-प्रसार करेंगी.साथ ही ”एक भारत, दिव्य भारत, अखंड भारत” का संदेश देंगी.इसी कड़ी में संजनानंद गिरी हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट करने पहुंची.
इसकी जानकारी उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिये दी और लिखा.आज हरियाणा के प्रथम नागरिक राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट हुई और लगा जैसे एक अभिभावक साथ हैं, मां कामाख्या से आपके मंगलमय जीवन की प्रार्थना के साथ ही आगामी चतुष्पथ यात्रा के लिए आपके समर्थन का ह्रदय से आभार. इस मुलाकात के दौरान चतुष्पथ यात्रा के उद्देश्यों, उसके सामाजिक प्रभाव और आध्यात्मिक जागरूकता को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे एक समावेशी अभियान के रूप में देखा जा रहा है.जो संपूर्ण राष्ट्र में शांति, सहअस्तित्व और सार्वजनिक कल्याण का संदेश प्रसारित करेगा.
चतुष्पथ यात्रा की बात करे तो ये एक परिवर्तनकारी अभियान के रूप में उभर रही है. जिसका उद्देश्य समाज को एकता, आत्मबोध और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरित करना है. यह यात्रा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी. जिसमें हजारों किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी. यात्रा दो चरणों में संपन्न होगी, जिसमें पहला चरण कामाख्या पीठ (असम) से जोधपुर (राजस्थान) तक और दूसरा चरण रामेश्वरम (तमिलनाडु) से कश्मीर तक आयोजित किया जाएगा. इस दौरान महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी सनातन धर्म के मूल्यों को प्रचारित करेंगी और समाज में अध्यात्मिक जागरूकता का प्रसार करेंगे.
महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी, जो कामाख्या पीठ की उपासिका भी हैं, उन्होंने इस यात्रा की महत्ता को लेकर कहा कि यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आध्यात्मिक आंदोलन है. जो राष्ट्र की सामूहिक चेतना को जागृत करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है. यात्रा के दौरान न केवल आध्यात्मिक संदेशों का प्रसार किया जाएगा. बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इस अभियान के अंतर्गत विभिन्न पड़ावों पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वच्छता अभियान और प्रदूषण नियंत्रण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके. चतुष्पथ यात्रा केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक जागरूकता अभियान भी है, जो शांति, सद्भाव और सतत विकास को बढ़ावा देगा. इस यात्रा से भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को और अधिक सशक्त किया जाएगा, जिससे देश में समरसता, सहअस्तित्व और आध्यात्मिक चेतना का नया दौर स्थापित हो सके