महाकुंभ में ‘कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ शीर्षक से होगा जलवायु सम्मेलन, सीएम योगी होंगे शामिल
![](https://liveuttarakhand.com/wp-content/uploads/2025/02/Screenshot_2025-02-14-06-42-01-07_6012fa4d4ddec268fc5c7112cbb265e7-780x470.jpg)
लखनऊ। यूपी के पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन विभाग की तरफ से महाकुंभ में ‘आस्था व जलवायु परिवर्तन’ पर 16 फरवरी से जलवायु सम्मेलन होगा। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना और जलवायु सुधार को लेकर प्रेरित करना है। सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिरकत करेंगे। साथ ही धर्मगुरु, पर्यावरणविद, अनेक सामाजिक संगठन, उद्योग व व्यापार जगत के साथ ही गणमान्य नागरिक भी हिस्सा लेंगे।
मुख्य सचिव मनोज कुमार ने कहा, धर्मगुरु विचारशील नेता भी हैं, जिनके पास सामाजिक चेतना को प्रभावित करने की शक्ति है। हमने लंबे समय से विभिन्न कारणों से लोगों को प्रभावित करने के लिए धर्मगुरुओं का सहयोग लिया है। जलवायु संकट एक आध्यात्मिक संकट भी है क्योंकि यह पर्यावरण के साथ मानव अलगाव को इंगित करता है, जिसने इस तरह के मुद्दों को जन्म दिया है।
‘पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन में धर्म गुरुओं की भूमिका’ पर एक सत्र में विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे ‘धर्म गुरु’ इस जटिल मुद्दे का समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं। अन्य विषय जैसे ‘जलवायु कार्रवाई में आस्था-आधारित संगठनों को बढ़ावा देने और समर्थन करने में सरकारों की भूमिका, आपदा राहत, अनुकूलन और शमन में धार्मिक संगठनों की भूमिका, पवित्र नदियाँ, जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन, और मिशन लाइफ़ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को बढ़ावा देने पर सभी धर्म गुरुओं को विशेषज्ञों के साथ मंथन करते देखा जा सकता है।
मुख्य सचिव ने कहा, “हमने लंबे समय से विभिन्न कारणों से लोगों को प्रभावित करने के लिए धर्म गुरुओं का सहयोग लिया है। अलीगढ़ और मुरादाबाद में जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में, मुझे पल्स पोलियो पर समर्थन के लिए धर्मगुरुओं की मदद लेना याद है।”
कुमार ने कहा, “अब जलवायु परिवर्तन से बड़ा और बेहतर मुद्दा क्या हो सकता है? ये संत प्राचीन ज्ञान के भंडार हैं और हम उनकी अंतर्दृष्टि से लाभ उठाने का इरादा रखते हैं।”
मुख्य सचिव ने कहा, “उनमें से कई चुपचाप इस कार्य को कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, मैंने महाकुंभ में एक संत को अपने अनुयायियों को याद दिलाते हुए देखा कि यदि वे प्लास्टिक की बोतलें और अन्य कचरा नदियों में फेंकेंगे तो पवित्र स्नान व्यर्थ होगा। इसलिए इस संत ने चतुराई से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए भक्तों को याद दिलाया कि ‘पुण्य’ तभी मिलेगा जब वे यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाएंगे कि गंगा और अन्य नदियां स्वच्छ रहें।”
उन्होंने कहा, “प्रकृति के साथ मानव के अलगाव ने जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को जन्म दिया है, जिसका अर्थ है कि सही मार्गदर्शन के साथ, हमारे पास इसे उलटने की भी शक्ति है। यहीं पर ये धर्म गुरु बिल्कुल फिट बैठते हैं।”