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न्यायमूर्ति केहर भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश बने 

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नई दिल्ली ।  न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर ने भारत के प्रधान न्यायधीश के पद की शपथ ली। वह देश के 44वें और सिख समुदाय से पहले प्रधान न्यायाधीश बने हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में केहर को पद की शपथ दिलाई। केहर न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर के स्थान पर इस पद पर नियुक्त हुए हैं। उनका कार्यकाल सात महीने से थोड़ा अधिक होगा और 28 अगस्त, 2017 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने के साथ ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। प्रधान न्यायाधीश केहर को पूर्व प्रधान न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने एक ‘सख्त न्यायाधीश’ करार दिया था।
शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रुडी तथा प्रकाश जावड़ेकर शामिल हुए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे। साथ ही शीर्ष न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा तथा ए.एम.अहमदी, महा न्यायवादी मुकुल रोहतगी तथा प्रख्यात वकील फली नरीमन भी मौजूद थे।
इस मौके पर नए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत तथा वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोवा भी मौजूद थे। न्यायमूर्ति केहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को 99वें संविधान संशोधन कानून और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति कानून (एनजेएसी) 2014 को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था। उस संविधान पीठ के फैसले को न्यायमूर्ति केहर ने ही लिखा था। न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को हटाने के लिए मोदी सरकार ने एनजेएसी लाई थी। इसके अलावा, उन्होंने सत्ता से बेदखल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सत्ता बहाल करने सहित संवैधानिक पीठ के अधिकांश फैसलों को लिखा। यह फैसला मोदी सरकार को करारा झटका था, क्योंकि उसने राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा द्वारा विधानसभा के सत्र को जनवरी 2016 की जगह एक महीना पहले यानी दिसंबर में ही बुलाने के फैसले को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति केहर न्यायमूर्ति के.एस.राधाकृष्णन (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व वाली उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने चार मार्च, 2014 को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय, उनके दामाद अशोक रॉय चौधरी तथा समूह के एक निदेशक रवि शंकर दूबे को अदालत के आदेश की नाफरमानी करने के जुर्म में तिहाड़ जेल भेज दिया था।केहर का जन्म 28 अगस्त, 1952 को हुआ। उन्होंने 1974 में चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया और पंजाब विश्वविद्याय से एलएल.बी. तथा एलएल.एम. किया। सन् 1979 में वह एक वकील के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की।
आठ फरवरी, 1999 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पीठ में शामिल होने के बाद 29 नवंबर, 2009 को उत्तराखंड उच्च न्याायलय का मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले वह दो बार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रहे। आठ अगस्त, 2010 को वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। केहर 13 सितंबर, 2011 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने।

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