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नाना पाटेकर की संजीदा अभिनय ही पहचान 

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नाना पाटेकर अपने संजीदा अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उनके बोले संवाद बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ जाते हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता कह लीजिए, सर्वश्रेष्ठ विलेन या सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता, उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वह अक्खड़ मिजाज के इंसान हैं। मगर तीनों श्रेणियों में फिल्मफेयर अवार्ड पाने वाले वह पहले अभिनेता हैं।  नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म व्यवसायी पिता दिनकर पाटेकर और गृहिणी मां संजनाबाई पाटेकर के घर 1 जनवरी, 1951 को महाराष्ट्र के मुरूड जंजीरा में हुआ था। नाना की शादी नीलकांति पाटेकर से हुई, लेकिन मतभेदों के चलते दोनों का तलाक हो गया। नाना के बेटे का नाम बड़ा प्यारा है- मल्हार।
नाना ने मराठी सिनेमा ‘गमन’ (1978) से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। ‘आज की आवाज’, ‘प्रतिघात’ और ‘मोहरे’ में उन्होंने उत्कृष्ट अभिनय की मिसाल कायम की। मीरा नायर की फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ में नाना के अभिनय को जिसने भी देखा, दिल में बसा लिया। ‘परिंदा’ (1990) में अदाकारी के लिए नाना को सहायकअभिनेता के तौर पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया। सन् 1995 में ‘क्रांतिवीर’ में शानदार अभिनय करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और 1997 में फिल्म ‘अग्निसाक्षी’ के लिए भी बतौर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता नाना को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
नाना को वर्ष 1992 में फिल्म ‘अंगार’ में बतौर सर्वश्रेष्ठ विलेन फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद वर्ष 2005 में ‘अपहरण’ के लिए वह दूसरी बार बतौर सर्वश्रेष्ठ विलेन फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित हुए। क्या नाना गाते भी हैं? हां, सही पकड़े हैं.. ‘यशवंत’, ‘वजूद’ और ‘आंच’ में नाना अपनी गायिकी के जौहर भी दिखा चुके हैं। यह भी कम ही लोगों को पता है कि उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर स्मिता पाटिल ने उन्हें अभिनेता बनने की सलाह दी थी।
शाहरुख, सलमान, आमिर और अमिताभ से पहले नाना ने ही पहली बार एक करोड़ रुपये फीस मांगी थी। उन्होंने फिल्म ‘क्रांतिवीर’ के लिए इतनी बड़ी रकम की मांग की थी। दिलदार नाना अभिनेत्री मनीषा कोईराला के साथ अपने प्रेम संबधों को लेकर भी चर्चा में रहे। फिल्म ‘युगपुरुष’, ‘खामोशी- द म्यूजिकल’ और ‘अग्निसाक्षी’ में दोनों ने साथ काम किया, लेकिन बाद में उनके बीच दूरी बनती चली गई।
नाना पाटेकर बड़े सादगी से रहते हैं। वह समाजसेवा से भी जुड़े हैं। उनका ‘नाम’ फाउंडेशन विदर्भ के किसानों की मदद करता है। वह बड़े दिल वाले हैं, उन्हें जब राज कपूर अवार्ड से सम्मानित किया गया और 10,00,000 रुपये मिले तो उन्होंने यह बड़ी रकम महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित किसानों की मदद करने के लिए दान कर दिया।
नाना के बोले फिल्मी संवाद भी खूब लोकप्रिय हुए हैं। फिल्म ‘क्रांतिवीर’ का डायलॉग “ये मुसलमान का खून है, ये हिंदू का खून है, बता इसमें से मुसलमान का कौन सा है और हिंदू का कौन सा है।” फिल्म ‘अब तक छप्पन’ का डायलॉग “तुम लोग सोसाइटी का कचरा है और मैं जमादार”। फिल्म ‘तिरंगा’ का “पहले लात फिर बात और उसके बाद मुलाकात” और फिल्म ‘यशवंत’ का डायलॉग “साला एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है।” खूब मशहूर हुए हैं।
फिल्मों में शानदार योगदान के लिए नाना 2013 में भारत सरकार के पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए।  साधारण लुक के बावजूद नाना ने फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है। नाना की हालिया फिल्मों- ‘राजनीति’, ‘द जंगल बुक’, ‘वेलकम’ और ‘वेलकम बैक’ में भी नाना को गंभीर और हास्य कलाकार दोनों रूपों में दर्शकों ने पसंद किया।  जिंदादिल इंसान और संजीदा अदाकार नाना को जन्मदिन और नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं

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