राष्ट्रीय

भूमि आंदोलन के लिए 1 मुट्ठी अनाज और 1 रुपया जुटाएं : राजगोपाल

16_10_2012-16landabill

ग्वालियर | एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी नेता डॉ. पी.वी. राजगोपाल ने भूमिहीन और भूमि समस्याओं से जूझ रहे दलित, आदिवासी और गरीब किसानों से अपना हक पाने के लिए संघर्ष को तैयार रहने की अपील की है। एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी नेता डॉ. राजगोपाल ने रविवार को दूरभाष पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोगों से एक मुट्ठी अनाज और एक रुपये की प्रतिदिन बचत से आंदोलन के लिए तैयारी शुरू करने की अपील की।  मध्यप्रदेश के ग्वालियर में दो दिवसीय राष्ट्रीय भूमि अधिकार सम्मेलन में देशभर से जुटे भूमिहीन और भूमि समस्याओं से जूझ रहे दलित, आदिवासी और गरीब किसानों ने केंद्र सरकार के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए राष्ट्रीय भूमि सुधार के आगरा समझौते को लागू न करने पर आंदोलन की मंशा जाहिर की है।
एकता परिषद द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के पहले दिन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रनसिंह परमार ने कहा कि लगातार आंदोलन और भारत सरकार से आगरा समझौते को लेकर संवाद करने के बाद भी ग्रामीण विकास मंत्री और प्रधानमंत्री के द्वारा कोई कार्रवाई न करना देशभर के करोड़ों भूमिहीनों और दलित आदिवासियों तथा गरीब किसानों की उपेक्षा है, इसकी कीमत सरकार को चुकानी पड़ेगी।
मध्यप्रदेश के प्रांतीय समन्वयक दीपक भाई ने कहा, “आगरा समझौता लागू नहीं किया गया तो ग्रामीण विकास मंत्री को ग्वालियर में घेरेंगे, जो हमारे साथ चलकर आंदोलन किए थे।” ज्ञात हो कि परिषद के द्वारा आयोजित 2007 और 2012 के अांदोलन में नरेंद्र सिंह तोमर पदयात्रियों के साथ पदयात्रा कर संबोधित किया था।
एकता परिषद के राष्ट्रीय सचिव अनिल भाई ने देश में मौजूद विषमता का प्रमुख कारण भूमि का असमान वितरण बताया। उन्होंने कहा कि वनअधिकार लागू होने के बाद देशभर में 41 लाख 82 हजार दावे दाखिल किए गए, लेकिन उसमें से मात्र 16 लाख 84 हजार लोगों को ही वनअधिकार हासिल हुआ है।
परिषद की राष्ट्रीय संयोजक श्रद्धा बहन, एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक और छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि रमेश शर्मा ने राज्य में जारी खनिज संसाधनों की लूट और आदिवासियों की पीड़ा पर अपनी बात कही।
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक और केरल राज्य के प्रतिनिधि अनीश कुमार ने कहा कि केरल के वायनाड़ में चाय बागानों की खाली पड़ी जमीनों को जोत रहे आदिवासी किसानों को सरकार ने भूमि देने का वायदा किया, किंतु उसको धरातल पर नहीं उतारा गया।
इस मौके पर जनपैरवी समन्वयक मनीश राजपूत ने कहा कि दलित, आदिवासी, किसान और मजदूरों का संघर्ष ही सफलता दिलाएगा।

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