लीक से हटकर सरकार ने बिपिन रावत को बनाया नया सेनाध्यक्ष
नई दिल्ली। सरकार ने सेना प्रमुख और वायुसेना प्रमुखों के नाम की घोषणा कर दी। थलसेना प्रमुख के नाम पर सबसे ज्यादा हैरानी हुई है। सरकार ने सह-सेना प्रमुख बिपिन रावत को नया सेनाध्यक्ष बनाने की घोषणा की है। बिपिन रावत 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे जनरल दलबीर सिंह सुहाग की जगह भारतीय सेना के 27वें सेनाध्यक्ष होंगे। बिपिन रावत सेना में फिलहाल वरिष्ठता में तीसरे नंबर पर थे। अभी तक सेनाध्यक्ष सेना के सबसे वरिष्ठï को अध्यक्ष बनाया जाता था। नए वायुसेनाध्यक्ष के तौर पर आज बी एस धनोआ का ऐलान किया गया वे भी 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे एयर चीफ मार्शन अरुप राहा की जगह लेंगे।
सेना में अभी तक वरिष्ठता को ही वरीयता देते हुए सेनाध्यक्ष की घोषणा की जाती रही है। ऐसे में बिपिन रावत के नाम ने सभी को हैरान कर दिया।
सूत्रों के अनुसार, सेना के सभी लेफ्टिनेंट जनरल्स में बिपिन रावत को सबसे उपयुक्त पाया गया। जनरल रावत उत्तर, यानि चीन से उभरती चुनौतियों और उसके लिए पुर्नगठित किए गए सैन्यबल सहित आंतकवाद और पश्चिम, यानि पाकिस्तान के प्रोक्सी-वॉर से निपटने तथा उत्तर-पूर्व की परिस्थितियों से निपटने के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया है।
उनका सैनिकों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण तो है ही, साथ ही नागरिक-समाज के साथ जुड़ा माना जाता है। दक्षिणी कमांड की कमान संभालते हुए उन्होनें पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर मैकेनाइजड.वॉरफेयर के साथ-साथ वायुसेना और नौसेना के साथ बेहतर समन्वय और सामंजस्य बैठाया।
मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले बिपिन रावत ने 1978 में सेना शामिल हुए थे। उन्हे इंडियन मिलेट्री एकेडमी(आईएमए) में स्वार्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया था। उन्होंने सेना की 11वीं गोरखा राईफल्स की पांचवी बटालियन ज्वाइन की थी। मौजूदा सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी गोरखा अधिकारी हैं।
बिपिन रावत ने कश्मीर घाटी में पहले राष्ट्रीय-राईफल्स में ब्रिगिडेयर और बाद में मेजर-जनरल के तौर पर इंफेंट्री डिवीजन की कमान संभाली। साथ ही चीन सीमा पर कर्नल के तौर पर इंफेंट्री बटालियन की कमान भी संभाली वे दीमापुर स्थित तीसरी कोर के जीओसी पर रह चुके हैं । दीमापुर में कार्यरत के दौरान ही वे एक बड़े हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे। इसके अलावा सेना मुख्यालय में डीजीएमओ कार्यालय और कांगो में यूएन-पीसकीपिंग फोर्स की ब्रिगेड की कमान संभाल चुके हैं।
33 साल में पहली बार सरकार ने वरिष्ठïता को दरकिनार
33 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार ने वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए बिपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया है। 1983 में इंदिरा गांधी ने एस के सिन्हा की जगह जूनियर अधिकारी ए एस वैद्य को सेना प्रमुख बनाया था। उसके बाद से सबसे सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल को ही सेनाध्याक्ष बनाए जाने की पंरपरा थी। माना ये भी जा रहा है कि बिपिन रावत को इंफेंट्री-अधिकारी होने का फायदा मिला है। क्योंकि प्रवीन बख्शी आर्मर्ड , यानि टैंक रेजीमेंट के अधिकारी है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर पहले ही कई सार्वजनिक मंचों पर इस बात का ऐलान कर चुके थे की सरकार ष्वरिष्ठता की बजाए योग्यता को तबज्जो देती है।
बी एस धनोआ होंगे नये वायुसेना प्रमुख
बी एस धनोआ ने भी 1978 में एक फाइटर पायलट के तौर पर वायुसेना ज्वाइन की थी। कारगिल युद्ध में वायुसेना की तरफ से उन्होनें एयर-ऑपरेशन्स में हिस्सा लिया था। वे भटिंडा स्थित उस मिग-7 फाइटर प्लेन स्कॉवड्रन के कमांडिग ऑफिसर थे। जिसके अधिकारी अजय आहूजा करगिल युद्ध में शहीद हुए थे।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने दो दिन पहले ही यह संकेत दे दिया था कि जल्द ही नये सेना प्रमुखों के नामों की घोषणा की जायेगी।