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रेलवे को राजस्व के पारंपरिक स्रोतों से इतर देखने की जरूरत : प्रभु

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नई दिल्ली | रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने  इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय रेल को राजस्व के लिए पारंपरिक स्रोतों से इतर देखने की जरूरत है। सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे के लिए विज्ञापन राजस्व का एक बड़ा स्रोत हो सकता है और केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा निजी क्षेत्र निवेश जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। प्रभु ने भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) की 89वीं वार्षिक बैठक के दौरान कहा, “रेलवे को संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है, जिसके लिए निवेश जरूरी है। केवल निवेश की कमी के कारण ही रेलवे पिछड़ रहा है। लेकिन ऐसे वक्त में हमें ग्राहक सेवा, समय पर माल पहुंचाने इत्यादि से संबंधित मुद्दों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।”
संचालन की बढ़ती कीमतों तथा भाड़ा वृद्धि में कमी की ओर इशारा करते हुए प्रभु ने कहा कि रेलवे किराये से इतर राजस्व पैदा करने के उपायों में सुधार कर रहा है।  उन्होंने कहा, “पारंपरिक रेलवे राजस्व के लिए माल भाड़ा तथा यात्री किराये पर आश्रित था, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होने जा रहा, क्योंकि संचालन की कीमत में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। वेतन आयोग की सबसे बड़ी मार रेलवे पर पड़ी है, क्योंकि इसके पास देश के किसी अन्य विभाग की तुलना में सर्वाधिक कर्मचारी हैं।”
रेल मंत्री ने कहा, “कुल मिलाकर इस साल माल ढुलाई में सबसे कम बढ़ोतरी रही।” निजी क्षेत्र की भागीदारी के बारे में प्रभु ने कहा कि रेलवे में परिचालन विनिर्माण के स्तर पर दो बड़े निवेश हुए हैं, एक तो अमेरिका की जीई ने किया है, जबकि दूसरा फ्रांस की बहुराष्ट्रीय कंपनी ऑल्स्टॉम ने किया है।

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