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बीसीसीआई में अभी सुधार की गुंजाईश है: सचिन तेंदुलकर

109439-439202-sachin-tendulkar-event700मैदान पर हों या बाहर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर हमेशा विवादों से दूर रहते हैं और बहुत सोच समझ कर बोलते हैं. बीसीसीआई और लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लेकर चल रहे विवादों पर अपनी बात रखते हुए कहा है इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देना अनुचित होगा। उन्होंने बड़े सधे हुए अंदाज में इस विवाद पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा ‘व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि मुझे अपने करियर में बोर्ड से काफी मदद मिली। केवल मैं ही नहीं बल्कि अन्य भातीय क्रिकेटरों का भी बोर्ड ने पूरा ध्यान रखा और उन्हें आगे बढ़ने के पूरे मौके भी दिये। हालांकि हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होती है और बीसीसीआई में भी है।’
लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देना ‘अनुचित, क्रिकेट को मिस करता हूँ
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला लंबित होने के कारण लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देना ‘अनुचित होगा।’ लेकिन बीसीसीआई का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि बोर्ड ने देश में खेल के लिए काफी कुछ किया है। उन्होंने कहा कि संन्यास लेने बाद भी वह क्रिकेट को मिस करते हैं, इतने सालों से जो प्यार मिला उसे भुला नहीं पाया हूं। उन्होंने कहा ‘वीरेंद्र सहवाग को बल्लेबाजी करते हुए देखने में सबसे ज्यादा मजा आता था, पता नहीं चलता था कि वीरू अगली गेंद पर क्या करने वाला है।’
टेस्ट क्रिकेट नहीं मर रहा है, बस लोगों की सोच बदल रही है
सचिन ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट नहीं मर रहा है, बस लोगों की सोच बदल रही है। T-20 और तकनीक के आने से लोगों की रुचि बदल गई है। सचिन तेंदुलकर ने कहा ‘मैं टेस्ट क्रिकेट देखते हुए बड़ा हुआ हूं और आज की पीढ़ी T-20 देखती है। टेस्ट में लोगों की रुचि कम होने पर सचिन ने कहा कि दर्शकों को बांधे रखने के लिए जरूरी है कि टेस्ट क्रिकेट में गेंद और बल्ले के बीच बराबरी की टक्कर हो।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढ़ा पैनल ने बीसीसीआई में आमूल चूल परिवर्तन की सिफारिश की है लेकिन क्रिकेट बोर्ड कुछ सिफारिशों को मानने से इंकार कर रहा है। बोर्ड ने कल दिल्ली में अपनी विशेष आम बैठक में इसी रुख को दोहराया और सचिव अजय शिर्के ने बैठक के बाद कहा कि बोर्ड इस मामले में उच्चतम न्यायालय के पांच दिसंबर के फैसले का इंतजार करेगा। बोर्ड की आपत्ति 70 साल की आयु सीमा, दो कार्यकाल के बीच तीन साल की कूलिंग अवधि और एक राज्य एक वोट की नीति को लेकर है।

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