नही थम रही नगदी की किल्लत
दैनिक खर्चो को पूरा करने के लिए पैसा निकालने के लिए छुट्टी का लाभ उठाते हुए लोग यहां शनिवार सुबह से ही बैंकों के बाहर कतार में खड़े हो गए। नोटबंदी के तीन सप्ताहों के बाद भी बैंकों के बाहर लोगों की टेढ़ी मेढ़ी कतारें देखी गईं, क्योंकि रविवार को बैंकों की शाखाएं बंद रहेंगी।
पैसे निकालने के लिए लोगों ने एटीएम की जगह बैंकों के काउंटर पर जाना पसंद किया, क्योंकि चेक या निकासी पत्र से पैसे निकालने की सीमा एटीएम की तुलना के मुकाबले बैंकों में कहीं अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश के अनुसार, चेक के जरिये बैंक से एक सप्ताह में 24 हजार रुपये तक निकाले जा सकते हैं, जिसमें एटीएम से निकाली जाने वाली राशि भी शामिल है।
एटीएम से प्रतिदिन 2,500 रुपये निकालने की अधिकतम सीमा तय की गई है।
दक्षिण कोलकाता में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा के बाहर कतार में खड़ीं एक आईटी पेशेवर महेली मजुमदार ने कहा, “महीना के शुरू में मासिक खर्च पूरा करने के लिए हमें नकद में अधक राशि चाहिए। एटीएम से एक व्यक्ति 2500 रुपये तक ही निकाल सकता है, जबकि काउंटर से एक व्यक्ति को कम से कम अधिक राशि तो मिल सकती है।”
उन्होंने कहा, “बैंकों के काउंटर के सामने खड़ा होना उचित है, क्योंकि अधिकांश एटीएम से 2000 रुपये मूल्य के नोट निकलते हैं।”
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निकासी की अधिकतम सीमा तय किए जाने के बावजूद बैंक शाखाएं नकदी की उपलब्धता के अनुरूप निकासी की उनकी सीमा तय करते हैं। जब तक नकदी की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होती है, तब तक स्थिति में सुधार नहीं होगी।
एटीएम से 500 रुपये के नए नोट निकलने के लिए एटीएम में बदलाव नहीं किए जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक को दोषी ठहराया।
उधर, बैंकों के बाहर कतारों में रहने के दौरान राज्य में शुक्रवार को दो बुजुर्गो की मौत हो गई। हालांकि शहर में स्थित भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के अनुसार, मुद्रा की आपूर्ति में सुधार हो रहा है।