ग्रामीणों ने ली राहत की सांस… मारी गई उत्तराखंड की मोस्ट वांटेड बाघिन
45 दिन से आतंक मचा रही वाली रामनगर की मोस्ट वांटेड आदमखोर बाघिन मारी गई। जिसके बाद अब वन विभाग और खौफजदा ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
बताया गया कि शिकारियों ने तीन हाथियों के साथ आदमखोर बाघिन का एनकाउंटर किया। इससे पहले रामनगर की आदमखोर बाघिन ने अपनी चालाकी से सभी को मात दे दिया था।
उस बाघिन उसकी तलाश में लगाए गए आधुनिक संसाधनों से लेकर कई शिकारियों और कुत्ते लगातार चकमा दे रही थी। बता दें कि किसी आदमखोर को पकड़ने या मारने का देश भर में यह अपनी तरह का पहला सबसे बड़ा अभियान था।
बाघिन को मारने या पकड़ने के तमाम उपाय कर लिए गए थे
रामनगर की आदमखोर बाघिन को मारने या पकड़ने के तमाम उपाय कर लिए गए थे। खोजबीन में ड्रोन से लेकर हेलीकॉप्टर
तक का इस्तेमाल कर लिया गया, लेकिन बाघिन बच निकली। विभिन्न प्रभागों के 100 वन कर्मी और 100 हाका लगाने वालों को अभियान में शामिल किया गया था।
बाघिन का मूवमेंट पता करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि 65 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। शुरुआत में तो बाघिन कैमरा ट्रैप में आ गई, लेकिन बाद में शायद वह इस बात को समझ गई और करीब एक सप्ताह से वह उस तरफ फटकी भी नहीं जहां-जहां कैमरा लगाए गए थे।
अभियान से जुड़े लोगों का मानना था कि बाघिन चालाकी के साथ खेतों के मेड़ के रास्ते पर चल रही है, जबकि पहले वह मुख्य रास्तों की तरफ भी मूवमेंट कर रही थी।
बाघिन की चालाकी यहीं नहीं रुकी अब वह एक बार वह जिस इलाके में कोई घटना करती थी, तो वहां कुछ समय के लिए नहीं जाती थी। हर बार वह इलाका बदल रही थी।
खेतों में सूअर, नील गाय से लेकर भरपूर पानी है, ऐसे में उसे खाने-पीने की दिक्कत नहीं थी। इसके अलावा गन्ने के खेत और बगीचे उसके छिपने में मददगार साबित हुए। विभिन्न घटनाओं से यह पता चलता है कि बाघिन का जन्म भी इसी इलाके में हुआ था, ऐसे में उसे करीब हर रास्ता और दांव पता है।
इसके चलते ही सौ हाका लगाने वाले, तीन हाथी, पांच शिकारी (बाद में दो शिकारी चले गए) से लेकर बड़ी संख्या में शिकारी कुत्ते भी बाघिन तक नहीं पहुंच सके। इससे पूर्व वन विभाग कोई ऐसा चालाक वन्यजीव सामने आया हो, वह याद नहीं है।
विभाग द्वारा बुधवार को बाघिन को गोली लगने और घायल होने की बात कही गई थी।