उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को खाली करने पड़ेंगे सरकारी आवास
उत्तरप्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास खाली करने का फरमान सुनाया गया है नैनीताल हाईकोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास करने का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस इसलिए जारी किया गया है कि बुधवार को इस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई है और पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा था कि सरकारी आवास कब तक खाली हो जाएंगे?
अब प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया जाएगा कि पांचों पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया है।
ये पांच पूर्व मुख्यमंत्री है सरकारी आवास पर काबिज
बता दें कि प्रदेश के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों एनडी तिवारी, भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा सरकारी आवास पर काबिज हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते से वो सरकारी आवास में रह रहे हैं। रुलक संस्था के अवधेश कौशल ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और अन्य सुविधाएं मिलने को लेकर 2010 नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
किराया वसूली के लिए अलग से दी जाएगी सूचना
हाईकोर्ट में अभी इस याचिका की सुनवाई चल रही है। इस बीच इस साल 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने संबंधी आदेश दिया था।
चूंकि उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री निवास स्थान आवंटन नियमावली-1997 को लागू किया था। लिहाजा इस आदेश को उत्तराखंड के लिए जारी माना गया।
हालांकि हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए राज्य संपत्ति विभाग ने उत्तराखंड के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो माह के अंदर (16 दिसंबर-2016) आवास खाली करने नोटिस जारी कर दिया है।
नोटिस में कहा गया है कि आवंटित आवास के किराये को कैलकुलेट कर किराया वसूली के लिए अलग से सूचना दी जाएगी।
आवास के मामले को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अपने वकील के मार्फत से यह कह चुके हैं कि वो आवास खाली कर देंगे। कोर्ट में उन्होंने इसके लिए कुछ माह की मोहलत दिए जाने की मांग की थी।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक कह चुके हैं कि वो आवास खाली कर देंगे।
पूर्व मुख्यमंत्रियों से मार्केट रेट पर वसूला जाए किराया
पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले रूलक संस्था के अवधेश कौशल का कहना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री का फैसला अच्छा है।
हरीश रावत भी आज नहीं तो कल पूर्व मुख्यमंत्री हो जाएंगे, लेकिन उन्होंने अपने लिए आवास की व्यवस्था करने के बारे में नहीं सोचा।
उन्होंने कहा कि भले ही यह फैसला हाईकोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए फैसला लिया गया, फिर भी इसकी सराहना की जानी चाहिए। कौशल ने बताया कि हाईकोर्ट में बुधवार को होने वाली सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट के सामने यह बात रखेंगे कि पूर्व मुख्यमंत्रियों से मार्केट रेट पर किराया वसूला जाए।
प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को शेडो या गनर, एक पीए, 2 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, पीए के बदले 85 हजार तक ओएसडी, एक चौकीदार या टेलीफोन अटेंडेंट, दो वाहन डीजल-पेट्रोल सहित मिलता था।
लेकिन कुछ समय पहले हरिद्वार के भगवानपुर में हुई कैबिनेट की बैठक में इन सुविधाओं को वापस ले लिया गया था। इस वक्त पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास की सुविधा जारी रहने दी गई।