शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए नरेंद्र मोदी से राम मंदिर के बारे में सवाल खड़ा किया है। शिवसेना ने सामना में लिखा है कि पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास बढ़ गया है। उन्होंने लखनऊ में दशहरा सम्मेलन कर जय श्रीराम का नारा दिया और यूपी विधानसभा कैंपेन का शंख फूंक दिया। शंख श्रीराम के नाम से फूंका गया है तो यूपी में कितनी हलचल हुई है, ये जल्द ही पता चल जाएगा। यूपी का चुनाव बीजेपी के लिए जिंदगी और मौत का सवाल है। खुद मोदी वाराणसी से लोकसभा में चुनकर गए हैं और पीएम बनते ही उन्होंने काशी में जाकर गंगा आरती की, जिससे बीजेपी की छाती चौड़ी हो गई और हिंदुत्ववादियों की कलाइयों में जोश का संचार। अगर नहीं हुआ हो तो आश्चर्य ही है।
संपादकीय में शिवसेना द्वारा लिखा गया कि मोदी पहले ऐसे पीएम हैं, जिन्होंने शपथ लेते ही गंगा आरती की और उसका परिणाम भी अच्छा ही हुआ। उस समय ही मोदी से पूछा गया था कि अब राम मंदिर कब। लेकिन तब राम भक्तों को ठोस जवाब नहीं मिला था क्योंकि लोकसभा जीत का जोश था और विधानसभा का माहौल नहीं था। अब विधानसभा चुनाव का शंखनाद शुरू होने के कारण माहौल बन गया है और इसी वजह से विधानसभा के लिए जय श्रीराम का नारा लगाने पर विरोधियों ने कटाक्ष शुरू कर दिया है।
शिवसेना के संपादकीय में लिखा गया कि पीएम के लखनऊ जाकर जय श्रीराम का नारा लगाने से राम मंदिर स्थापित होकर स्वर्ण कलश चढ़ेगा। राम मंदिर पर जितनी राजनीति होनी है, उतनी हो चुकी है। अब और कितनी राजनीति करनी है, ये एक बार में तय कर डालो। सामना के संपादकीय में लिखा गया कि बीजेपी के पास बहुमत का शिखर है, इसलिए राम मंदिर आज नहीं तो कभी नहीं। केवल नारा मत लगाओ, ईंट लगाना शुरू करो। कलश चढ़ाने का काम शिवसेना करेगी, क्योंकि बाबरी का गुंबद जमींदोज करने का काम भी शिवसैनिकों ने ही किया था।