नई दिल्ली। संसदीय सचिव बनाए जाने के मामले में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के 21 विधायकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इन 21 विधायकों पर पिछले एक साल से सदस्यता रद्द होने की तलवार लटक रही है। चुनाव आयोग ने सभी 21 विधायकों को चुनाव आयोग ने अपने जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी अल्टीमेटम दिया है। दरअसल, वर्ष 2015 में चुनाव जीतने के बाद दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। विधायकों के इसी पद को लाभ का पद मानते हुए विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जबकि संसदीय सचिव के पद लाभ के पद हैं ऐसे में इन विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा है कि विधायक 17 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल कर दें, वरना उनकी बात पर गौर किए बिना कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने आगे कहा कि यदि विधायकों ने समय का ध्यान रखा तो वह यह मान लेगा कि विधायकों के पास कहने को कुछ नहीं है। याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट प्रशांत पटेल से भी 14 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया था। उन्हें 21 अक्टूबर तक की छूट दे दी गई है। बता दें कि विधायकों ने चुनाव आयोग से जवाब देने के लिए 8 हफ्ते का समय मांगा था, जिसे आयोग ने ठुकरा दिया है।