लखनऊ में पीएम नरेन्द्र मोदी करेंगे राम पूजा और सीएम अखिलेश मारेंगे रावण!
राजनीति के मंच पर लखनऊ के दशहरे की दुनिया भर में चर्चा
लखनऊ। दशहरा वैसे तो सारी दुनिया में हर साल बड़े उत्साह से मनाया जाता है लेकिन इस बार का लखनऊ का दशहरा बड़ा खास है। यह दशहरा राम रावण के संग्राम के साथ ही सत्ता संग्राम का भी है। भाजपा पस्त सपा बेबस बसपा और मृतप्राय कांग्रेस के बीच दशहरे को संजीवनी के रूप में इस्तेमाल करने में लगी है। लखनऊ के दशहरे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लखनऊ आने के कई राजनीतिक निहितार्थ हैं। राम मंदिर को ठंडे बस्ते में डाल चुकी भाजपा को राम चुनाव के समय याद आते हैं। चुनाव की आहट के बीच राम एक फिर भाजपा के खेवनहार बनेंगे। राम को याद करने के लिए विजयादशमी से बड़ा कोई पर्व हो ही नहीं सकता। विजयदशमी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐशबाग रामलीला में राम पूजा करेंगे। प्रदेश भाजपा दशहरे पर प्रधानमंत्री के आगमन के बहाने प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति का आकलन भी करेगी। वही मोदी के एक मंत्री ने यहाँ तक कह दिया है की उत्तरप्रदेश में भाजपा सीएम के चेहरे बिना चुनाव लड़ेगी ।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कहा है कि हमें भी दशहरे का इंतजार है। हम रावण वध स्वयं करेंगे। हमारे पास तुरुप का पत्ता है। अब जरा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनो के कार्यक्रम और बयान मिलाकर देखें तो राजनीति के नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री की राम आरती और मुख्यमंत्री के रावण वध को राजनीतिक दिग्गजों के अलग अलग कयास हैं। सोशल साइटस पर इस बात की चर्चा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने फैसलों से पलटने के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में सबसे पंसदीदा चेहरा हैं। मुख्यमंत्री अपने परिजनों यहां तक कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से जूझ रहे हैं। चाचा शिवपाल ने अखिलेश से अपना पुराना हिसाब चुकाया है। पार्टी से गिन गिन कर अखिलेश समर्थक बाहर किए जा रहे हैं। अमनमणि को टिकट व मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में विलय अखिलेश यादव की सबसे बड़ी हार है। भाजपा सपा की कलह का पूरी तरह लाभ उठाने की फिराक में हैं। बीते दिनों कानपुर में मेट्रो की आधारशिला के मौके पर केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की न सिर्फ तारीफ की बल्कि इशारों इशारों में कह दिया कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहें तो कितना अच्छा हो।
अखिलेश यादव भी इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं कि उनके लिए सत्ता की राह आसान नहीं होगी। पारिवारिक कलह उनके विकास कार्य व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर भारी पड़ रही है। आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने तो यहां तक कह दिया है कि पारिवारिक झगड़ों से तंग अखिलेश आने वाले समय में यूपी में भाजपा का चेहरा बन जाए तो कोई आश् चर्य नहीं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में सबसे पसंदीदा चेहरे के रूप में अखिलेश यादव हैं और भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री के रूप में किसी का नाम फाइनल नहीं किया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लाख नाराजगी के बावजूद शिवपाल यादव ने बाहुबली विधायक मुख्यतार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करा दिया। जहां अंसारी बंधुओं के समर्थकों के खेमे में खुशी और अंसारी बंधुओं का विरोध करके अपनी राजनीति चमकाने वाले खेमे में गम का माहौल दिखाई दे रहा है। इस निर्णय से सबसे ज्यादा उत्साह गाजीपुर, बलिया, मऊ, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़, बनारस आदि के विधायक और मंत्री दिखाई दे रहे हैं। अंसारी बंधुओं के विलय का विरोध करने वाले पहले पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने भी अपना सुर बदल दिया अब इसे सपा के लिए लाभकारी बताने लगे है। शिवपाल ने पार्टी में अहम पद देकर उन्हें चुप करा दिया है। राजनीति के गलियाारे में यह भी चर्चा है कि गृह कलह को थामने के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव खुद ही मुख्यमंत्री बनने का मन बना चुके हैं लेकिन उन्हें डर है कि अखिलेश कहीं विद्रोह कर विधानसभा न भंग करवा दे या भाजपा का दामन थाम ले। हालांकि यह सब अभी कयासबाजी है लेकिन सपा के अंदरखाने में कुछ तो है जिसकी आहट अक्सर सात दरवाजों के बाहर भी छन कर सामने आ जाती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का अलग घर में जाना भी इस चर्चा को हवा देता है कि अखिलेश बहुत ज्यादा दिनों तक चुप नहीं बैंठेंगे। शिवपाल द्वारा टीम अखिलेश को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाये जाने पर अखिलेश ने अपने साथियों के लिए ठिकाने तलाशने शुरू कर दिए हैं। जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट फिलहाल टीम अखिलेश का नया ठिकाना बन चुका है और प्रदेश में राजनीति के समीकरण तेजी से बदलने को है। इंतजार की कीजिए दशहरे का।