पूरे करो सपने, बनाओ अपने करियर की फिल्म
यूपी में मिलेगी फिल्म प्रोडक्शन की ट्रेनिंग, नौकरी भी पक्की
यूपी के युवाओं का फिल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में काम करने का सपना जल्द पूरा होने वाला है। इसके लिए उप्र कौशल विकास मिशन ने पहल शुरू कर दिया है।
मिशन के तहत युवा वर्ग को फिल्म प्रोडक्शन से संबंधित विभिन्न विधाओं की ट्रेनिंग दिलाने का फैसला किया गया है। यूपी में इस तरह की ट्रेनिंग पहली बार शुरू होने जा रही है।
मिशन ने ट्रेनिंग देने के लिए फिलहाल नोएडा की बैग फिल्म मीडिया लिमिटेड कंपनी से ट्रेनिंग पार्टनर के तौर पर अनुबंध किया है। दरअसल फिल्म प्रोडक्शन के क्षेत्र में रोजगार की आपार संभावनाओं और यूपी में मैनपावर की प्रचुर उपलब्धता को देखते हुए कौशल विकास मिशन ने इस क्षेत्र में ट्रेनिंग दिलाने का निर्णय लिया है।
शुरूआत में करीब 2000 युवाओं को बैग फिल्म से ट्रेनिंग दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए चयनित लोगों को फिलहाल फिल्म प्रोडक्शन से संबधित 6 कोर्स के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। सभी कोर्स के लिए 190 घंटे से लेकर 550 घंटे की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी।
ट्रेनिंग प्रोग्राम से सम्बंधित सभी औपचारिकताएं पूरी
ट्रेनिंग की खास बात यह होगी कि ट्रेंड युवकों को केन्द्रीय कौशल विकास मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाली संस्था ‘नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग’(एनसीवीटी) द्वारा सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। अब तक ट्रेनिंग देने वाली कंपनी ही सर्टिफिकेट देती थी।
फिल्म प्रोडक्शन से संबंधित क्षेत्र में पहली बार शुरू हो रही ट्रेनिंग प्रोग्राम से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। इसलिए ट्रेनिंग देने का कार्य जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल लाभार्थियों को बैग फिल्म की नोएडा स्थित ट्रेनिंग सेंटर में ही ट्रेनिंग दिलाने की व्यवस्था की गई है।
70 प्रतिशत प्लेसमेंट कराएगी कंपनी
कौशल विकास मिशन और बैग फिल्म के बीच हुए एमओयू के तहत ट्रेनिंग पूरा कराने के बाद कंपनी को ट्रेंड युवाओं में से 70 प्रतिशत का प्लेसमेंट भी कराना होगा।
इनमें से भी 35 प्रतिशत को तो किसी न किसी संस्थान या प्रोडक्शन हाउस में परमानेंट नौकरी दिलाना अनिवार्य होगा। जबकि शेष 35 प्रतिशत को सेल्फ इम्प्लॉयमेंट के तौर पर रोजगार मुहैया कराना होगा।
इन कोर्स में दी जाएगी ट्रेनिंग
असिस्टेंट वीडियो एडीटर, डिजीटल कैमरा फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, डिजीटल ऑडियो रिकार्डिंग, लाइटिंग असिस्टेंट व मॉस कम्यूनिकेशन।