आस्था का प्रतीक हैं नैनीताल में बनी नारियल की मूर्तियां
कला का हुनर हाथों में हो तो निर्जीव वस्तुओं में भी जान डाली जा सकती है. बल्कि इसे रोजगार के रूप में भी अपनाया जा सकता है. नैनीताल में 40 सालों से भट्ट परिवार मंदिरों में चढ़ावें में आये नारियल से दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. नवरात्रों में खासतौर से लोग इन मूर्तियों को घर में पूजा के लिए ले जाते हैं. नारियल की मूर्तियां पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती हैं.
जी हां नैनीताल का भट्ट परिवार पिछले 40 सालों से मंन्दिरों में चढ़ने वाले नारियलों पर कलाकारी कर जांन भर रहे हैं. नैनीताल के कैन्ट में रहने वाला ये भट्ट परिवार नारियल से मां की मूर्तीयों का निर्माण कर मां की भक्ति में लगे हैं. पिछले 35 से 40 सालों में निर्मला भट्ट ने तीस हजार से ज्यादा देवी के मूर्ती का निर्माण कर चुकी हैं.
इनकी बनाई गयी मूर्तियां ना सिर्फ देशभर में घरों में पूजी जा रही हैं, बल्कि विदेशों में भी भक्तों की मनोकामना पूरी कर रही है. सालभर नारियल से बनने वाली देवी की मूर्तियों की डिमांड नवरात्रों और दीपावली के दौरान काफी बढ़ जाती है.
दरअसल नयना देवी, पाषाण देव, दुनागिरी पूर्णागिरी समेत पहाड़ों में अन्य मंन्दिरों में चढ़ावे के नारियल को लोग निर्मला भट्ट को मूर्ती निर्माण के लिये देते हैं. इसके बाद निर्मला भट्ट गाय के गोबर, नारियल के छिलके खडिया मिट्टी और अखबार के कागज से इन मूर्तियों का निर्माण करती है. इसके बाद रंगों की कलाकारी के जरिये इन मूर्तियों को देवी मां के रूप में ढाला जाता है. इतना ही नहीं इसके बाद इन मूर्तियों का श्रृंगार कर मंन्दिरों में पूजा अर्चना के लिये रखा जाता है. इतना ही नही मूर्ती के टूटने पर भी उसे दूसरी बार भी आकार देकर पूजा के लिये बनाया जाता है.
पिछले कुछ सालों में मूर्ति बनाने के लिये लोग भट्ट परिवार को काफी मात्रा में नारियल भेजते हैं और मूर्ति बनवा रहे हैं. यह मूर्ति पर्यवरण संरक्षण का भी संदेश दे रही है. मूर्ति बनाने में जुटी निर्मला भट्ट बताती है कि उन्होंने मंन्दिर में डोले को देख यह सीखा, जिसके बाद उन्होंने घर में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया है.
निर्मला भट्ट बताती हैं कि बढ़ती मांग को देखते हुए वे लगातार मूर्तियां बना रही हैं. कुमाऊं में कईं घरों में इन मूर्तियों की पूजा होती है, तो देशभर से भी लोग इन मूर्तियों को लेने आते हैं. वहीं विदेशी भी नारियल की मूर्तियां लेकिर जाते हैं.