उत्तराखंड

बिजली खरीद पर नियामक आयोग और यूपीसीएल आमने सामने

utaरिन्युवल एनर्जी के इस्तेमाल को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग और पावर कॉरपोरेशन में ठनी हुई है आयोग ने तयशुदा लक्ष्य के मुताबिक इस श्रेणी की बिजली नहीं खरीदने पर यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक समेत पांच आला अफसरों पर पर्सनल पेनल्टी लगाई है.
नियामक आयोग का कहना है कि यूपीसीएल राज्य में रिन्युवल एनर्जी होने के बावजूद उस प्रक्योर नहीं कर रहा है, जिसे नकारते हुए पावर कॉरपोरेशन केंद्र में अपीलेट अथोरिटी एप्टेल में अपील करने की तैयारी में है.
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक एसएस यादव पर 50 हजार, निदेशक वित्त एमए खान पर 30 हजार, चीफ इंजीनियर एके सिंह, अधीषण अभियंता सुनील वैदय और अधिशाषी अभियंता प्रवेश कुमार पर 10 दस हजार की पेनल्टी लगाई है.
दरअसल हर राज्य को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के तय लक्ष्य के मुताबिक रिन्युवल एनर्जी प्रक्योर यानि खरीदनी होती है. ऐसा न कर पाने की सूरत में उसे दिए लक्ष्य के तहत डेढ रुपये प्रति यूनिट आईईसी यानि रिन्युवल एनर्जी सर्टिफिकेट खरीदनी पड़ते हैं.
पावर कारपोरेशन को नियामक आयोग के पास जाकर अपने लक्ष्य को अगले साल के लिए कैरी फारवर्ड भी करा सकता है. इन दोनों उपायों में कुछ नहीं करने पर विद्युत नियामक आयोग के चैयरमैन सुभाष कुमार ने यूपीसीएल के पांच आला अफसरों पर 10 से 50 हजार रुपये तक की पर्सनली पेनल्टी ठोंक दी है.
आपको बता दें कि रिन्युवल एनर्जी के तहत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, वायो गैस और माइक्रो हाइड्रो से पैदा होने वाली बिजली आती है. अगर नियामक आयोग के चैयरमैन की माने तो यूपीसीएल राज्य में एनर्जी के होने के बावजूद भी प्रक्योर नहीं कर रहा है. तो क्या उत्तराखंड पावर कारपोरेशन राज्य से इतर कहीं और से खरीदने के लिए हीलाहवाली कर रहा है.
यूपीसीएल के प्रवक्ता इस आरोप को सिरे से इंकार करते हुए अतर्कसंगत पेनल्टी के खिलाफ एप्टेल में अपील करने की बात कही है. बहरहाल रिन्युवल एनर्जी को लेकर उत्तराखंड विदयुत नियामक आयोग और पावर कारपोरेशन आमने-सामने आ गए हैं.

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