आईएएस आरके सिंह पर मेहरबान उत्तराखंड सरकार
चर्चित आईएएस आरके सिंह को एक दिन का वेतन देने संबंधी मंजूरी देने का पत्र राज्य सरकार ने केंद्र को भेज दिया है। आईएएस सिंह को लेकर सरकार और कार्मिक महकमा जिस अंदाज में तेजी दिखा रहा है, यह कार्यप्रणाली भी राज्य के नौकरशाहों में भी चर्चा का विषय बनी है। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से सिंह के लिए दोबारा आईएएस की नौकरी का रास्ता खोल दिया है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला केंद्र को ही लेना है। सिंह केंद्र में एक वरिष्ठ मंत्री के बहुत नजदीकी हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय में जो अड़चनें आ सकती हैं, वे उनके मार्फत दूर करा सकते हैं।
दरअसल, यह पूरा खेल उत्तराखंड के अगले मुख्य सचिव को लेकर चल रहा है। मौजूदा सीएस शत्रुघ्न सिंह दिसंबर में रिटायर होंगे। इससे पहले कि उनका किसी आयोग में पुनर्वास होता है तो वे पहले भी वीआरएस ले सकते हैं। इसके बाद वरिष्ठता में भगवती प्रसाद पांडे हैं, जो केंद्र में डेपुटेशन पर हैं। वे सचिव रैंक में पहुंच चुके हैं लिहाजा उनकी वापसी अब मुश्किल है।
केंद्र से हरी झंडी मिलने पर 84 बैच के आईएएस सिंह भी मुख्य सचिव के प्रबल दावेदारों में शुमार हो जाएंगे। हालांकि उत्तराखंड गठन के बाद उनका राज्य के लिए कोई योगदान नहीं है। इससे पहले वे यूपी में भी कभी किसी जिले में डीएम नहीं रहे। बहरहाल, राज्य सरकार की तेजी से राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
अपना ही आदेश पलटा
आईएएस सिंह को लेकर अब सरकार अपने पुराने फैसले से पलट गई है। एक दिसंबर, 11 को डीओपीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजते हुए उनके 17 जुलाई, 2001 को उत्तराखंड में योगदान दिए जाने एवं उक्त तिथि का वेतन भुगतान के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार ने तब 29 अप्रैल, 12 को केंद्र को भेजे पत्र में साफ कहा था कि सिंह को 17 जुलाई, 2001 को योगदान दिए जाने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें उक्त अवधि के वेतन का भुगतान भी नहीं किया। अब सरकार ने ठीक इसके उलट रिपोर्ट भेजी है।
सात साल बाद जागे सिंह
आईएएस सिंह अपने डीम्ड रेजिगनेशन को खत्म करने के लिए सात साल बाद जागे। केंद्र सरकार ने उन्हें दो मई, 2003 में लगातार गैर हाजिर रहने पर उनका त्यागपत्र मान लिया था। तब कार्मिक विभाग ने इसकी विज्ञप्ति भी जारी की थी। लेकिन सिंह ने 18 अगस्त, 10 को केंद्र सरकार से डीम्ड रेजिगनेशन खत्म करने का आग्रह किया। इस पत्र के आधार पर तब केंद्र ने राज्य से कमेंट्स मांगे थे। आखिर जब केंद्र ने यह कदम उठाया, तब आईएएस सिंह क्यों सक्रिय नहीं हुए ?