उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां कहा कि बाइस साल पहले उत्तर प्रदेश में आंदोलनकारियों के साथ हुए रामपुर तिराहा कांड दोषियों को देश के कानून के तहत सजा जरूर मिलेगी।वर्ष 1994 में आज ही के दिन मुजफ्फरनगर जिले में हुए इस बर्बर कांड की बरसी पर मुख्यमंत्री ने रामपुर तिराहा जाकर शहीद स्मारक में उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी।
यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, रावत ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और अशुभ घटना अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर हुई। उन्होंने कहा कि गांधी जी सदैव अहिंसा व मानवता के लिए लड़ते रहे लेकिन इसी दिन हमें हिंसा व बर्बरता का शिकार होना पड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘देश में कानून, सर्वोच्च है और इसके अधीन मुजफ्फरनगर के दोषियों को सजा मिलेगी। इस संबंध में महाधिवक्ता से विधिक सहायता ली जा रही है। यह अपराध एक व्यक्ति के विरूद्घ नही बल्कि पूरी मानवता के विरूद्घ था।’हालांकि, उन्होंने रामपुर तिराहा के आस-पास के लोगों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जिन्होंने पीडि़तों को भोजन, पानी आदि देकर मानवता की मिसाल पेश की।गौरतलब है कि दो अक्टूबर, 1994 को पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा में लाठीचार्ज किया गया था तथा महिलाओं सहित कई लोगों के साथ कथित तौर पर दुवर््यवहार किया गया था। रावत ने कहा कि हमारी लड़ाई पिड़ापन, गरीबी, सामाजिक कुरीतियों के विरूद्घ है और इसमें सभी वर्गों का सहयोग जरूरी है।उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए राज्य सरकार हरसम्भव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि चिन्ह्ति आंदोलनकारियों को निर्धारित पेंशन मिलने लगी है और प्रक्रिया में छूट गए आंदोलनकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद स्थलों पर शहीदों की मूर्तियां लगाई जाएगी और खटीमा में भी मसूरी-देहरादून की तर्ज पर स्मारक बनाया जाएगा।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी मौजूद रहे जिन्होंने शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्जलि दी।