दुनिया के कई देशों में कहर बरपा चुके मंकी पॉक्स का संदिग्ध मरीज भारत में मिला, जांच जारी
नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों में कहर बरपा चुके मंकी पॉक्स का एक संदिग्ध मामला भारत में भी मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि एमपॉक्स ट्रांसमिशन से पीड़ित देश से हाल ही में यात्रा करने वाले एक व्यक्ति की पहचान इस बीमारी के संदिग्ध मामले के रूप में की गई है। फिलहाल मरीज को एक अस्पताल में अलग कर दिया गया है और वर्तमान में उसकी हालत स्थिर है, चिंता का कोई कारण नहीं है।
फिलहाल रोगी से नमूने लिए गए हैं ताकि म्पॉक्स की उपस्थिति की पुष्टि की जा सके। मामले को स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार संभाला जा रहा है और संपर्क ट्रेसिंग चल रही है ताकि संभावित स्रोतों की पहचान की जा सके और देश के भीतर इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके। मरीज किस राज्य का है और किस देश से आया है या भारत आने के बाद किन लोगों से मिला है, इसका खुलासा नहीं किया गया है।
70 से ज्यादा देशों में मंकी पॉक्स का आतंक
एमपॉक्स या मंकी पॉक्स अफ्रीका से फैला और अब दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है। मंकी पॉक्स से अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस खतरे के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बैठक की और आपातकाल स्थिति घोषित कर दी है। WHO ने मंकी पॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। मंकीपॉक्स का पहला मामला 1958 में सामने आया था। जहां एक कोलोनी में रिसर्च के लिए बंदरों को रखा गया था। साल 1970 में कांगो (डीआरसी) में पहली बार इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे। ये इंसान में फैलने वाला पहला केस था। इसके बाद दूसरे मिडिल और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में लोगों में मंकीपॉक्स के केस सामने आए। अफ्रीका के बाहर अमेरिका, इज़राइल, सिंगापुर में मामले पाए गए हैं। यूके में पहली बार 2018 में एक मामला सामने आया था।