अंतरिम बजट पर टिकी निगाहें, महिलाओं-किसानों और सामाजिक कल्याण पर बढ़ सकता है आवंटन
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बृहस्पतिवार को अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। इस बजट से बहुत ज्यादा राहत की उम्मीदें नहीं हैं, फिर भी कर और कुछ मामलों में रियायत मिल सकती है। बढ़ती महंगाई के बीच स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत मिलने वाली छूट को बढ़ाए जाने की उम्मीद है। बजट में महिला, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों पर भी जोर रह सकता है।
राजकोषीय घाटा 5.3 फीसदी तक लाने का प्रयास
सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.3 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य रख सकती हैं। बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) सिक्योरिटीज का कहना है कि सरकार खर्च में कटौती के बजाय पूंजीगत व्यय के सहारे वृद्धि को गति देकर राजकोषीय घाटे को कम करने की अपनी रणनीति पर कायम रहने का विकल्प चुनेगी।
पीएम किसान: हर साल मिल सकते हैं 9,000 रुपये
- देश के लगभग 60 फीसदी ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
- पीएम किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली रकम की सीमा बढ़कर 9,000 रुपये सालाना हो सकती है, जो अभी 6,000 रुपये है।
- चालू वित्त वर्ष के अनुमानित 60,000 करोड़ रुपये के बजट को वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़ाकर 70,000-75,000 करोड़ रुपये किया जा सकता है।
85000 करोड़ हो सकता है मनरेगा बजट
- मनरेगा के वर्तमान अनुमानित 60,000 करोड़ के बजट को बढ़ाकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बार 80,000-85,000 करोड़ रुपये कर सकती हैं।
- ग्रामीण और शहरी स्तर पर सस्ते हाउसिंग के तहत प्रावधानों को 80,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है।
महिला किसानों को मिल सकते हैं 12,000 रुपये
- अगले तीन वर्षों में मुफ्त गैस सिलिंडर कार्यक्रम को 75 लाख अतिरिक्त महिलाओं तक पहुंचाने की योजना है। ऐसे में सरकार इस पर खर्च बढ़ा सकती है।
- महिला भूमि मालिक किसानों को दी जाने वाली वार्षिक रकम को बढ़ाकर 12,000 रुपये तक किया जा सकता है।
सबके लिए आवास योजना बढ़ सकती है आगे
- स्वास्थ्य बीमा, सभी के लिए आवास और किसान आय ट्रांसफर जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों को सरकार आगे बढ़ा सकती है। सामाजिक खर्च में भी वृद्धि की उम्मीद है।
- अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी को छोड़कर सामाजिक खर्च में आठ फीसदी वृद्धि होगी। इस वर्ष इस पर चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
खाद्य सब्सिडी : 40 हजार करोड़ तक बढ़ सकती है
- 2023-24 में सरकार ने प्रमुख सब्सिडी (खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा था। हालाँकि, अगले पांच वर्षों के लिए पीएम-गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को बढ़ाने से वित्त वर्ष 2024-25 में खाद्य सब्सिडी बिल 35 से 40 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है।
- चूंकि, अन्य सब्सिडी में कटौती की उम्मीद नहीं है, इससे वित्त वर्ष 2023-24 में कुल सब्सिडी का बोझ 4-4.2 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। अगले वित्त वर्ष में यह बोझ घटकर 3.9-4 लाख करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है।
इन्फ्रा पर भारी खर्च कर सकती है सरकार
- तीन वर्षों में सरकार ने हाईवे, बंदरगाहों और बिजली संयंत्रों को प्राथमिकता देते हुए खर्च में सालाना एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में सात फीसदी का योगदान मिला है।
- ऐसे में सरकार इस बार बुनियादी ढांचे पर बड़े खर्च की घोषणा कर सकती है।
- सोलर पावर लगाने वाले घरों के लिए प्रोत्साहन की घोषणा हो सकती है। फेम सब्सिडी को भी घोषित किया जा सकता है।
कैपिटल गेन : सभी वित्तीय संपत्तियों के लिए समान टैक्स की उम्मीद
- कैपिटल गेन टैक्स को सभी वित्तीय संपत्तियों के लिए एक समान करने की उम्मीद है। इसमें लंबे समय के लिए 10 फीसदी और कम समय के लिए 15 फीसदी कैपिटल गेन टैक्स की मांग है।
- होम लोन पर अदा किए गए ब्याज के लिए कटौती की सीमा को बढ़ाकर कम से कम तीन लाख रुपये करना चाहिए। 2014 में इसे 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया गया था। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं है।
TDS और TCS प्रमाणपत्र की जरूरत खत्म हो
- नौकरीपेशा को उम्मीद है कि कुछ मामलों को छोड़ बाकी में टीडीएस/टीसीएस प्रमाणपत्र जारी करने की जरूरत खत्म कर दी जाए।
- फॉर्म-16, गैर-निवासियों व अनुपालन की लागत को कम करने के लिए टीडीएस और टीसीएस प्रमाणपत्र जारी करना खत्म हो। जिस मामले में पैन नहीं है, वहां उच्च टीडीएस/टीसीएस प्रमाणपत्र जारी हो।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
- बढ़ रही महंगाई के आधार पर पुरानी और नई आयकर व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करना चाहिए।
- इससे लोग अधिक खर्च कर सकेंगे। 2019 में इसे 40,000 से बढ़ाकर 50,000 किया गया था।
- बचत को प्रोत्साहित करने के लिए धारा 80सी के तहत बचत पर दोबारा विचार किया जा सकता है और उसे बढ़ाया जा सकता है।
HRA: राहत संभव
- छोटे शहरों को महानगरों में शामिल करने के लिए मकान किराया भत्ता (HRA) नियमों में संशोधन पर विचार करना चाहिए।
- इससे वेतनभोगियों के कर का बोझ कुछ हद तक कम होगा।
- शहरों में रहने वाले लाखों लोग अधिक किराया चुका रहे हैं। सरकार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान के साथ यह महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।
NPS में नियोक्ता का बढ़े योगदान
- निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (NPS) में नियोक्ता के योगदान की सीमा 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की मांग है। सरकारी कर्मचारियों के लिए यह सीमा 14 फीसदी है।
- NPS के जरिये लंबे समय की बचत को बढ़ावा देने के लिए इसे ब्याज और पेंशन के साथ शामिल किया जा सकता है।
- कर के बोझ को कम करने के लिहाज से NPS के सालाना हिस्से को 75 वर्ष की आयु वाले धारकों के लिए करमुक्त किया जा सकता है। वर्तमान में 60 फीसदी की एकमुश्त निकासी करमुक्त है।
नई कर व्यवस्था में भी रियायत देने की मांग
नई कर व्यवस्था में NPS योगदान पर कर छूट देने की मांग है। अभी आयकर कानून की धारा-80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में किसी व्यक्ति के 50,000 रुपये तक के योगदान पर पुरानी कर व्यवस्था के तहत छूट मिलती है। नई कर व्यवस्था में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा मिलने की उम्मीद
- होम लोन के टैक्स दायरे को बढ़ाने के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा मिलने की भी उम्मीद है। इससे न केवल निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि नियमों का भी सही तरीके से पालन होगा।
- सस्ते और मध्यम आय वाले मकानों (स्वामी) को दी जा रही मदद से इस क्षेत्र को काफी राहत मिली है। इसे अगले चरण में बढ़ाने की मांग है। इससे घर खरीदारों को राहत मिलेगी।
- सस्ते मकानों की मूल्य सीमा बढ़ाने की जरूरत
- किफायती आवास की परिभाषा 2017 में दी गई थी और तब से अभी तक नहीं बदली है।
- इसके अनुसार, किफायती आवास अधिकतम 45 लाख रुपये का होता है। महंगाई के कारण पिछले सात साल में रियल एस्टेट की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- ऐसे में कीमत को 45 लाख रुपये से बढ़ाकर 65-70 लाख रुपये करने की जरूरत है। इसमें निरंतर मांग और आपूर्ति जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
एकल खिड़की व्यवस्था हो
- सिंगल विंडो सिस्टम, एक समान ब्याज दरें और आयकर में छूट जैसे उपाय रियल एस्टेट क्षेत्र को बेहतर बनाएंगे। सिंगल विंडो मंजूरी से प्रोजेक्ट का निर्माण तेजी से होगा और समय की बचत होगी।
- जीएसटी दरों में मामूली कटौती से भी घर सस्ते हो जाएंगे। मांग में बढ़ोतरी होगी।
- लोगों की खरीद शक्ति में सुधार के लिए 30% की अधिकतम कर दर को कम किया जाए।
- दूसरे घर पर आयकर राहत और लंबे समय के कैपिटल गेन को तर्कसंगत बनाने के लिए उपायों की जरूरत है।
- इससे घर खरीदारों को लाभ होगा। रियल एस्टेट क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
मिल सकता है 10 लाख तक का दुर्घटना बीमा
- GST में पंजीकृत खुदरा क्षेत्र के कारोबारियों के लिए दुर्घटना बीमा की घोषणा सरकार कर सकती है। कारोबारियों को राष्ट्रीय खुदरा कारोबार नीति के तहत 10 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा मिल सकता है, जिसके लिए उन्हें सिर्फ 6,000 रुपये ही प्रीमियम भरना होगा।
- इस संबंध में विभिन्न सरकारी विभागों के साथ बीमा कंपनियों की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। पॉलिसी में छोटे-बड़े हादसों के साथ कारोबारी की मौत होने पर भी इसका लाभ मिलेगा।
रोजगार देने वाले क्षेत्रों तक बढ़ सकता है दायरा
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने व रोजगार के मौके पैदा करने के लिए सरकार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना का दायरा बढ़ा सकती है। इस दायरे में कपड़ा, आभूषण और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।
- डेलॉय इंडिया का कहना है कि चमड़ा, परिधान, हस्तशिल्प और आभूषण जैसे क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार पैदा करते हैं। इन्हें पीएलआई के दायरे में लाने से कम आय वाले परिवारों को मदद भी मिलेगी।
लग्जरी कारों पर घट सकता है टैक्स
- GDP में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लग्जरी वाहन उद्योग को भी कर के मोर्चे पर सरकार राहत दे सकती है। ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर शुल्क ढांचे और जीएसटी दरों में बदलाव की गुंजाइश है। अभी लग्जरी कार पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है।
- वाहन कंपनियों का मानना है कि सरकार का जोर हरित परिवहन को बढ़ावा देने पर रह सकता है। देश में ई-वाहनों के इस्तेमाल में तेजी लाने के लिए हरित परिवहन पर ध्यान देना अत्यंत जरूरी है।