सीएम धामी की डिंपल यादव को सलाह, बदरी धाम की परंपरा के बारे में मौर्य को बताएं
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को सलाह दी कि वह बदरीनाथ की परंपरा के बारे में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को बताएं। सीएम ने कहा कि डिंपल उत्तराखंड की हैं और बदरीनाथ की महान परंपरा और आस्था से भली-भांति परिचित हैं। उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्य को इसके बारे में बताना चाहिए।
मुख्यमंत्री सपा नेता के बदरीनाथ धाम पर दिए गए विवादित बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। मीडियाकर्मियों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, बैंकुठ धाम उत्तराखंड में स्थापित है। भगवान बदरीनाथ के प्रति पूरे विश्व के लोग आस्था और श्रद्धा रखते हैं। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बदरीनाथ के बारे में जो बयान दिया है, उसके बारे में उनकी पार्टी के सर्वोच्च नेता अखिलेश यादव की धर्मपत्नी को जवाब देना चाहिए।
डिंपल यादव इसी प्रदेश से ताल्लुक रखती हैं। मैं समझता हूं कि डिंपल यादव को भी इसका जवाब स्वामी प्रसाद को बताना चाहिए। बता दें कि सीएम ने सपा नेता के बयान को देश व धर्म विरोधी सोच करार दिया था। उनका कहना है कि यह विचार इन दलों के अंदर सिमी और पीएफआई की विचारधारा के वर्चस्व को भी प्रकट करता है।
ये था स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान
समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी प्रकरण पर कहा था कि पुरातत्व विभाग से सभी हिंदू मंदिरों की भी जांच कराई जानी चाहिए। इनके अधिकतर मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। यहां तक कि बदरीनाथ धाम भी आठवीं शताब्दी तक बौद्ध मठ था।
मौर्य का बयान सनातनी संस्कृति के प्रति दुर्भावना से प्रेरित
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का बदरीनाथ धाम पर विवादित बयान सनातनी संस्कृति के प्रति दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने इस बयान पर कांग्रेस नेताओं की चुप्पी पर भी तंज करते हुए कहा, कांग्रेस नेताओं को कभी तो देवभूमि के गौरव और सनातनी संस्कृति के अपमान के विरोध का साहस करना चाहिए।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और गूगल ज्ञान की आड़ में विपक्षी नेताओं का सनातन धार्मिक विश्वासों पर किया गया हमला उनके वैचारिक दिवालियापन को दर्शाता है। उन्हें जानकारी नहीं है कि बदरी धाम में युगों-युगों से भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते आए हैं।
हरीश रावत का नाम लिए बगैर भट्ट ने कहा, केवल उत्तराखंडियत की बात करने से कुछ नहीं होता है। उन्हें मौर्य जैसे लोगों का विरोध करना चाहिए जो राजनैतिक मकसद के लिए हमारे धार्मिक स्थलों और परंपराओं पर निशाना साधते हैं। बदरी विशाल का धाम देश ही नहीं दुनिया में हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है। राजनैतिक लाभ के लिए स्वाभिमान यात्रा निकालने वालों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
भट्ट ने आरोप लगाया कि विपक्ष पीएम मोदी के नेतृत्व में होने वाले श्रीराम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन महाकाल मंदिर कॉरिडोर, श्रीबद्री केदार पुनर्निर्माण व सौंदर्यीकरण आदि सांस्कृतिक-धार्मिक पुनरोत्थान के कार्यों को हजम नहीं कर पा रहा है। विपक्षी गठबंधन ऐसी लाख कोशिशें कर ले, लेकिन दुनिया में भारतीय संस्कृति के स्वर्णिम काल को आने से कोई नहीं रोक सकता है।
सतपाल महाराज बोले- सतयुग कालीन है बदरीनाथ धाम
पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को सनातन धर्म का कोई ज्ञान नहीं है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि जब यहां नर, नारायण ने तपस्या की थी, तब महात्मा बुद्ध का जन्म भी नहीं हुआ था। इसलिए बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताना सरासर गलत है।
महाराज ने बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताने पर सपा नेता मौर्य पर पलटवार किया। कहा अनर्गल बयानबाजी कर वे सुर्खियों में रहना चाहते हैं। बदरीनाथ धाम सतयुग कालीन है। यहां नर, नारायण ने तपस्या की थी। हालांकि सनातन परंपरा में महात्मा बुद्ध को भी हम नारायण का ही एक रूप मानते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि बदरीनाथ धाम को लेकर कुछ भी कह दें। जब पूर्व में नीति घाटी से उत्तराखंड में व्यापार होता था तो उस समय भगवान बदरीनाथ के लिए तिब्बत के मठों से भी चढ़ावा आता था। उन्होंने भी भगवान बदरी विशाल की महिमा को माना है।
मौर्य का बयान सनातन विरोधी : अजेंद्र अजय
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की कड़ी निंदा की है। कहा, बदरीनाथ धाम पर दिया बयान सनातन विरोधी है। बीकेटीसी अध्यक्ष ने मौर्य के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मानसिक दिवालियापन करार दिया है। हिंदू तीर्थ स्थलों के बारे में बयानबाजी करना सपा के एजेंडे का हिस्सा है। ऐतिहासिक प्रमाण है कि बदरीनाथ धाम युगों से विद्यमान है। पुराणों व शास्त्रों में बद्रिकाश्रम का वर्णन मिलता है। आदि गुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया। मौर्य के बयान का कोई तार्किक आधार नहीं है।