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अब काशी में मोक्ष पाने के लिए भी वेटिंग, भीषण गर्मी के चलते लगी लाशों की कतार

वाराणसी। इस समय पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी से परेशान है। आसमान से इस कदर आग बरस रही है कि प्रदेश में इससे लोगों की जान भी जाने लगी है। जहाँ अस्पताल में गर्मी की वजह से बेड फुल हैं तो वहीं शमशान घाटों पर भी लंबी कतार है। काशी जिसे मोक्ष की नगरी कहा जाता है मान्यता है की यहां के महाश्मशान में जिसका शवदाह होता है उसे मुक्ति मिलती है पर बढ़ती गर्मी ने यहां मुक्ति की राह को भी मुश्किल कर दिया है। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शव का दाह संस्कार करने के लिए लोगों को 2 से 3 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। आलम यह है कि मणिकार्णिका घाट पर शवों की कतार देखने को मिल रही है और भीषण गर्मी में दाह संस्कार करने के लिए पहुंचने वाले लोग परेशान नजर आ रहे हैं। सभी घाटों पर सामान्य दिनों की तुलना में दोगुनी चिताएं पहुंच रही हैं।

इन दिनों शव यात्रियों की सबसे ज्यादा भीड़ महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लग रही है। यहां सामान्य दिनों में 100 से 120 शव आते थे लेकिन इन दिनों यह संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। कुछ यही हाल हरिश्चंद्र घाट का भी है। जहां पहले 25 से 35 शव आते थे, वहीं इन दिनों 70 से 75 हो गए हैं। शाम के समय स्थिति और ज्यादा विकट हो रही है। दिन में धूप होने के कारण ज्यादातर लोग शाम 4 बजे के बाद शव लेकर पहुंच रहे हैं। इसके चलते लोगों को लंबा इंतजार भी करना पड़ रहा है। एक डेडबॉडी पूूरी जली भी नहीं की दूसरा शव पहुंच जा रहा है। शहर से लेकर गांव तक गंगा किनारे स्थित अन्य श्मशान घाटों पर भी यही हाल है। जानकारों का कहना है कि भीषण गर्मी और भीषण ठंड के समय मरने वालों की संख्या अधिक हो जाती है जिसके चलते काशी के घाटों पर शवों की कतार लग जाती है।

दरअसल शवयात्रा में शामिल होने के बाद वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर पहुंचने के बाद मृतक के शव को गंगा स्नान कराने के बाद घाट की सीढ़ियों पर रखकर मृतक के परिजनों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ रहा है। चिलचिलाती धूप में शवयात्रा निकालने के बाद घाट पर इंतजार करने में लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 44 डिग्री के टेंप्रेचर में अपने लिए भी छांव खोजना उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल साबित हो रही है। बाबा मशानशानाथ मंदिर के अध्यक्ष बताते है की शव जलाने वाला प्लेटफार्म खाली नहीं है और शव जलाने में वाले डोम की भी कमी है। जिसकी वजह से लोगो को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। इसके अलावा चिताओं को जलाने और पूरी तरह जलने के बाद उसे ठंडा होने में समय लगता है। एक शव को जलाने में करीब 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है। इस दौरान जो शव आते है उन्हे इंतजार करना पड़ता है। वही गर्मी में शवदाह के समय आग की वजह से शवदाह करवाने वाले लोगो को भी काफी मशक्कत करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गंगा घाट पर गर्मी का कहर इतना है की को लोग अपने परिजन का शवदाह करने तो आए है पर शव को धूप में रखकर अपने छाव में खड़े हैं।

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