लखनऊः लाक्षागृह लिवाना और सिस्टम के धुएं ने लील ली चार जिंदगियां, अब होटल पर चलेगा बुलडोजर
लखनऊ के होटल लेवाना में हुई 4 मौतों का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि सरकारी सिस्टम है ।होटल मालिकों ने तो भ्रष्टाचार की पिलर पर होटल खड़ा कर दिया लेकिन इस लापरवाही में एलडीए नगर निगम पर्यटन यूपीपीसीबी बिजली अग्निशमन और खाद्य एवं औषधि विभाग भी शामिल है बिल्डिंग का नक्शा पास भी नहीं और इसमें 40 कमरे बन गए जब नक्शा ही पास नहीं था तो कैसे बिल्डिंग को ढाई सौ किलो वाट का व्यवसायिक कनेक्शन 6 अक्टूबर 2017 को ही दे दिया गया । क्या अग्निशमन विभाग ने बिना मानक देखे ही एनओसी देदी । मतलब सभी विभाग आंख बंद कर होटल को एनओसी देते रहे । इसलिए होटल मालिकों के साथ-साथ इन विभागों के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका की जांच होनी चाहिए । फिलहाल पुलिस ने इस मामले में होटल मालिक समेत चार लोगों पर एफ आई आर दर्ज कर ली
लखनऊ में चार बेकसूरों की जान लेने वाला होटल लिवाना सूइट्स करप्शन की बुनियाद पर ही खड़ा हुआ था। यह बात सीएम योगी के निर्देश पर कुछ ही घंटों में जांच पूरी करने वाली डॉ. रोशन जैकब की रिपोर्ट में भी साबित हो गयी है।
आवासीय भूमि पर बिना नक्शा पास कराए होटल न सिर्फ बनकर तैयार हुआ था, बल्कि 64 सौ वर्ग फिट में पांच मंजिला अवैध होटल पांच सालों तक आराम से संचालित भी होता रहा और एलडीए के जोनल अफसर व इंजीनियर होटल पर कुछ दिनों में ही पूरी हो जाने वाली सीलिंग व ध्वस्तीकरण जैसी कार्रवाई करने की जगह किसी न किसी बहाने होटल को नोटिस दे खानापूर्ति कर टाइमपास करते रहें। पांच सालों में करीब तीन दर्जन छोटे-बड़े इंजीनियर, अधिकारी व कर्मचाारी क्षेत्र में तैनात रहें, लेकिन कोई भी लैंडयूज के खिलाफ बनें होटल का बाल भी बांका न कर सका।
वहीं अब कमिश्नर ने एलडीए वीसी को निर्देश दिया है कि इस दौरान क्षेत्र में तैनात रहें सभी अधिकारी व कर्मचारियों को चिन्हित करते हुए उन पर कार्रवाई करें। साथ ही होटल को सील करते हुए नियमानुसार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कराने के भी उपाध्यक्ष को निर्देश दिए। इसके अलावा शहर में इस तरह से चल रहें अन्य होटलों पर भी कार्रवाई के लिए एलडीए अध्यक्ष ने निर्देश जारी किए हैं।
दूसरी ओर कमिश्नर की जांच में यह भी सामने आया है कि मानकों के विरुद्ध बनाए गए होटल को अग्निशमन विभाग से साल 2021 से 2024 तक के लिए एनओसी दी गयी थी। लोहे की ग्रिल व शीशे की शीट से घेरकर बनाए गए होटल को इस तरह एनओसी फायर विभाग की ओर से ऐसे समय जारी की गयी थी, जब होटल में आग लगने की घटना से निपटने का न तो कोई इंतजाम थे, और न ही धुंआ निकलने की कोई व्यवस्था थी। यही वजह रही कि आज आग लगने के कुछ देर बाद ही चारों ओर से बंद होटल गैस चेंबर में बदल गया और चार लोगों की दम घुटने से मौत हो गयी और आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। पुलिस का मानना है कि धुंंआ व लोगों के निकलने की समुचित व्यवस्था होती तो हादसा इतना भयावह नहीं होता।
दूसरी ओर कमिश्नर के निर्देश पर एलडीए ने होटल को सील करने आदेश जारी करने के साथ ही मेसर्स बंसल कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि मुकेश जसनानी व उनके साझेदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराएगा । और करीब दो दर्जन इंजीनियरों को अवैध होटल को बचाने व बनवाने का दोषी मानते हुए उन पर कार्रवाई के लिए एलडीए ने शासन को पत्र भेजा है।
एलडीए ने दो घंटे की जांच में दो जुलाई 2017 से तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों को बिल्डर के साथ दुरभिसंधि करते हुए अवैध निर्माण के विरूद्ध कार्यवाही न करने का जिम्मेदार पाया गया है।अब इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही किये जाने की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी गयी है।
लिवाना अग्निकांड भले ही एलडीए से लेकर शासन तक के अफसर सख्त कार्रवाई करने की बात कह रहें हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि एलडीए ने 400 अवैध निर्माण चिन्हित किए थे और आज तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई लिहाजा लिवाना होटल जैसे ना जाने कितने चेंबर राजधानी लखनऊ में फल-फूल रहे है ।