कोरोना संक्रमण के बीच कैदियों को मिला तोहफा
अफसर करा रहे बंदियों की परिजनों से मोबाइल पर बातचीत
रिपोर्ट – राकेश यादव
लखनऊ। …देखिए मैं जेल से बोल रहा हूँ….मैं जेलर के सामने बात कर रहा हूँ,…इस नंबर पर पलट कर कॉल मत करना…यह फ़ोन सिर्फ हमारे बात करने के लिए है…इसके बाद बंदियों की परिजनों से बात शुरु होती है… कोरोना वायरस ने जेल मे बंदियों को उनके परिजनो से फोन पर बात कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसा तब हो रहा है जब जेलों में मोबाइल से बात कराना तो दूर की बात मोबाइल का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है। यही नही जेल प्रशासन ने बंदियों को डिप्रेशन से बचाने के लिए दैनिक उपयोग की वस्तुए व पैसा पहुचाने के लिए भी व्यापक इंतजाम किये है। यदि आपका कोई परिचित, मित्र या सहयोगी जेल में बंद है तो आप इस माध्यम से मदद कर सकते है।
कोरोना संक्रमण के चलते इनदिनों प्रदेश की जेलों में बंदियों की मुलाकात व्यवस्था को पूरी तरह से बंद है।इस बंदी के दौरान परिजनों से मुलाकात नही होने के कारण बन्दी डिप्रेशन (अवसाद) में न चला जाए इसके लिए जेल प्रशासन ने बंदियों की परिजनो फ़ोन पर बात कराने की व्यवस्था की है। राजधानी जिला जेल के जेलर एके मिश्रा बताते है जेल में एक पीसीओ लगा हुआ है। बंदियों की संख्या अधिक होने की वज़ह से प्रत्येक सर्किल के डिप्टी जेलर को सरकारी फ़ोन दिया गया है। वह बन्दी की फ़ोन का स्पीकर खोलकर बात कराते है। बन्दी पहले बोलता है कि वह जेल से जेलर के सामने बात कर रहा है..इस फ़ोन पर पलट कर फ़ोन मत करना…यह फ़ोन हमारे बात करने के लिए है…इसके बाद वह दो मिनट परिजनों से बात करता है।
इसके साथ ही बाहर से बंदियों के लिये आने वाले सामान को सेनेटाइज करके जेल में लिया जाता है। 48 घंटे बीतने के बाद वह सामान बंदियों को दिया जाता है। बंदियों को अवसाद से बचाने के लिए बंदियों को उनके परिवार से बात करने के लिए फोन की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।जिन जेलों में बंदियों कि संख्या कम है वहां पीसीओ के माध्यम से बात कराई गई है। जहां अधिक है वहां सरकारी फोन से दो से पांच मिनट तक बात कराई जा रही है।