कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर जानेमाने वैज्ञानिक ने दी बुरी खबर
इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर इयान फ्रेजर के हिसाब से कोरोना वायरस की वैक्सीन शायद ही भविष्य में बन पाए। इसके पीछे उन्होंने कई महत्वपूर्ण कारण बताए।
इयान फ्रेजर यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के प्रोफसर हैं। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन एचपीवी (ह्यूमन पैपीलोमा वायरस) जैसी दवा का आविष्कार किया है।
वैक्सीन डेवलपर्स के लिए एक बड़ी चुनौती
कोरोना वायरस को लेकर इयान ने दावा किया है कि इसकी वैक्सीन तैयार करना वैक्सीन डेवलपर्स के लिए एक बड़ी चुनौती है। प्रोफेसर इयान ने news.com.au के हवाले से कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन शायद कभी न बन पाए, लेकिन दुनिया में कोहराम मचाने वाले इस जानलेवा वायरस का असर धीरे-धीरे खुद-ब-खुद कम होने लगेगा।
वैज्ञानिकों के पास ऐसा कोई सटीक मॉडल नहीं
प्रोफेसर इयान ने बताया कि इस नए वायरस की वैक्सीन पर दुनिया के कई देशों की लगभग 100 अलग-अलग टीमें रिसर्च कर रही हैं। लेकिन अभी तक वैज्ञानिकों के पास ऐसा कोई सटीक मॉडल नहीं है जिससे वे समझ पाएं कि आखिर शरीर में इस वायरस का अटैक होता कैसे है।
कोविड-19 का रोग प्रतिरक्षण
खुद इयान भी अपनी टीम के साथ कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इयान के मुताबिक कोविड-19 का रोग प्रतिरक्षण आम सर्दी-जुकाम के रोग प्रतिरक्षण जैसा ही है।
अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट डिसीज
इयान ने बताया कि ‘अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट डिसीज’ यानी श्वसन क्रिया से जुड़े हिस्से के लिए वैक्सीन तैयार करना एक मुश्किल काम होता है। कोरोना वायरस आपके शरीर में फैलने की बजाय फेफड़ों में कोशिकाओं के सरफेस पर रहता है।
बॉडी टी-सेल्स
जबकि अन्य फ्लू वायरस के मामलों में बॉडी टी-सेल्स बनाकर आपकी रक्षा करती है। कोरोना वायरस आपके शरीर में सेल्स को मारता नहीं है, बल्कि उन्हें बीमार बनाता है।
कोई वैक्सीन कोरोना वायरस पर कैसे अपना असर दिखाएगी
इस परिस्थिति में वैज्ञानिकों के लिए यह समझना मुश्किल है कि कोई वैक्सीन कोरोना वायरस पर कैसे अपना असर दिखाएगी। ऐसे में यह कहना भी मुश्किल है कि वैक्सीन पर टेस्ट करने वाली 100 टीमों में से किसी को सफलता मिल भी पाएगी या नहीं।
अपने आप टल सकता है कोरोना वायरस का संकट
हालांकि प्रोफेसर इयान को उम्मीद है कि सार्स जो 2003 में फैला था और अपने आप खत्म हो गया था उसी तरह कोरोना वायरस का संकट भी अपने आप टल सकता है।
सार्स की भी नहीं बनी थी कोई वैक्सीन
सार्स की कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई थी। यह वायरस भी चीन में जन्मा था। दुनिया के कई देश उस समय इस वायरस से प्रभावित हो गए थे। हालांकि इसका फैलाव उतना नहीं था जितना इस कोरोना वायरस का है।
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