बड़ी खबर : अमेरिकी वैज्ञानिक का बड़ा दावा, मिली कोरोना की दवा
कोरोना वायरस की दवा को लेकर अमेरिकी साइंटिस्ट ने बड़ा दावा किया है। नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री पैन्डेमिक से चर्चा में आए वैज्ञानिक के मुताबिक उन्होंने कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ लिया है।
सार्स (Severe acute respiratory syndrome)
वैज्ञानिक का नाम डॉ. जैकब ग्लानविले है। जैकब ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि सार्स (Severe acute respiratory syndrome) पैदा करने वाले वायरस के खिलाफ इस्तेमाल किए गए कई एंटीबॉडीज के इस्तेमाल से ही उन्होंने ये सफलता हासिल की है।
इंजीनियरिंग का काम पूरा
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया में रहने वाले फिजिशियन और डिस्ट्रीब्यूटेड बायो के सीईओ डॉ. जैकब ग्लानविले ने कहा है कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही कि इंजीनियरिंग का काम पूरा कर लिया गया है। अब हमारे पास एक प्रभावशाली एंटीबॉडीज है जो कोरोना के खिलाफ काम कर सकता है।
(COVID-19) का इलाज तलाशने की कोशिश
साइंटिस्ट के मुताबिक उनकी टीम ने सार्स के खिलाफ 2002 में इस्तेमाल किए गए 5 एंटीबॉडीज का इस्तेमाल किया है। इन्हीं एंटीबॉडिज के जरिए उन्होंने कोरोना वायरस (COVID-19) का इलाज तलाशने की कोशिश की है। SARS-CoV-2 और COVID-19 एक ही फैमिली के वायरस हैं।
एंटीबॉडीज के लाखों वर्जन तैयार
अमेरिकी साइंटिस्ट ने कहा कि अब तक वे एंटीबॉडीज के लाखों वर्जन तैयार कर चुके हैं। इन्हें म्यूटेट भी किया गया है। नए एंटीबॉडीज के इंसानों पर परीक्षण होने के बाद इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस के खिलाफ किया जा सकता है। परीक्षण सफल होने के बाद सरकारी एजेंसी के पास इसे मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।
एंटीबॉडीज एस-प्रोटीन्स को करते हैं बाइन्ड
डॉ. जैकब ग्लानविले ने कहा कि ये एंटीबॉडीज एस-प्रोटीन्स को बाइन्ड करते हैं जिसके जरिए कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करता है। उन्होंने कहा कि सभी रिसर्च फिर से शुरू करने के बाद एंटीबॉडी तैयार करने में अधिक वक्त लग सकता है, इसलिए उन्होंने पहले से मौजूद एंटीबॉडीज का इस्तेमाल किया है।
एंटीबॉडी का परीक्षण
अगर इस एंटीबॉडी का परीक्षण सफल होता है तो शॉर्ट टर्म के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। असल वैक्सीन लोगों की आजीवन रक्षा करती है, लेकिन शॉर्ट टर्म वैक्सीन 10 साल तक सुरक्षा दे सकती है।
कोरोना महामारी के रूप में पूरी दुनिया में फैल चुका
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के रूप में पूरी दुनिया में फैल चुका है। इससे अब तक दुनियाभर में 8,62,500 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 42,500 से अधिक लोग कोरोना से जान भी गंवा चुके हैं।
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