चीन की इस गलती से मारे गए थे 1.50 करोड़ लोग, जाने क्या थी वजह
पूरे विश्व भर में कोरोना वायरस के फैलने की वजह से काफी लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इसकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन क्या आपको पता है इतिहास में ऐसी और भी गलतियां हुई है जिसकी वजह से लाखों लोगों ने अपनी जान खोई है।
कुछ इंसानों की एक छोटी गलती ने लाखों करोड़ों की जान ले ली। इस बीमारी का नाम था ‘ग्रेट चाइनीज फेमिने’। आपको बता दें कि शायद ही कोई ऐसा चाइनीस होगा किसको इस बीमारी के बारे में नहीं मालूम।
आइए जानते पूरी कहानी:
दरअसल सन 1958 में चीन की सत्ता संभाल रहे थे माओ जेडॉन्ग, जिन्हें माओ से-तुंग भी कहा जाता था। उन्होंने एक अभियान शुरू किया था, जिसे ‘फोर पेस्ट कैंपेन’ के नाम से जाना जाता है। इस अभियान के तहत उन्होंने चार जीवों (मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया) को मारने का आदेश दिया था। उनका कहना था ये चारों जीव किसानों की मेहनत बेकार कर देते हैं, खेतों में मौजूद उनके सारे अनाज खा जाते हैं।
अब चूंकि मच्छर, मक्खी और चूहों को मारना थोड़ा मुश्किल काम था, क्योंकि वो आसानी से खुद को कहीं छुपा लेते थे, लेकिन गौरैया चिड़ियों की तो आदत है कि वो हमेशा इंसानों के बीच ही रहना पसंद करती हैं। लिहाजा वो माओ जेडॉन्ग के आदेश का शिकार बन गईं और पूरे चीन में उन्हें ढूंढ-ढूंढकर मारा जाने लगा। यहां तक कि उनके घोंसलों को भी उजार दिया गया, ताकि कोई जिंदा न बच पाए।
लोग बर्तन, टिन या ड्रम बजा-बजाकर गौरैया को उसकी जगह से उड़ाते और उसे तब तक कहीं बैठने नहीं देते, जब तक कि वह उड़ते-उड़ते थक न जाए और आसमान से ही गिर कर मर न जाए। इतना ही नहीं, जो व्यक्ति जितनी संख्या में गौरैया मारता था, उसे उतना ही बड़ा इनाम भी मिलता था। इस लालच में चीनी लोग वो कर बैठे, जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की हो।
साल 1960 में माओ जेडॉन्ग ने गौरैया को मारने का अपना इरादा तब बदल दिया, जब चीन के ही एक मशहूर पक्षी विज्ञानी शो-शिन चेंग ने उन्हें बताया कि गौरैया बड़ी संख्या में अनाज के साथ-साथ उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े भी खा जाती हैं। इस बीच चीन में चावल की पैदावार बढ़ने के बजाय लगातार घटती जा रही थी, जिसके बाद माओ ने आदेश दिया कि गौरैया को न मारा जाए बल्कि उनकी जगह पर अनाज खाने कीड़ों (टिड्डों) को मारा जाए।
हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गौरैया के न होने से टिड्डों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि सारी फसलें बर्बाद हो गईं। नतीजतन चीन में एक भयानक अकाल पड़ा और देखते ही देखते करोड़ों लोग भूखमरी से मारे गए। चीनी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 मिलियन यानी 1.50 करोड़ लोगों की मौत भूखमरी से हुई थी। हालांकि कुछ अन्य रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15-45 मिलियन यानी 1.50-4.50 करोड़ लोग भूखमरी की वजह से मारे गए थे। यह चीन के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी।
कोरोना वायरस : लॉकडाउन के बाद भारत सरकार का बड़ा कदम होगा ये…