कोरोना से पहले इस फ्लू ने ली थी करोड़ों भारतीयों की जान, गाँधी भी थे चपेट में
चीन से पूरे विश्व में फैल चुके कोरोना वायरस की वजह से अभी तक विश्व भर में 10000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यहीं नहीं WHO ने भी इसे महामारी घोषित कर दी है। एक ऐसी ही बीमारी कुछ समय पहले भी पूरे विश्व में फैलीं थी जिसके चलते हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी भी इस बीमारी की चपेट में आ गए थे। महात्मा गांधी के एक सहयोगी ने एक बार बताया था कि 1918 में उन्हें फ्लू हो गया था जो उस वक्त दक्षिण अफ्रीका से लौटे हुए उन्हें चार साल गुजर गए थे।
इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। यह फ्लू गाँधी जी को तब हुआ हुआ था जब वो 48 साल के थे। फ्लू के दौरान उन्हें पूरी तरह से आराम करने को कहा गया था। वो सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन कर रहे थे। वो पहली बार इतने लंबे दिनों के लिए बीमार हुए थे। जब उनकी बीमारी की खबर फैली तो एक स्थानीय अखबार ने लिखा था, ‘गांधीजी की जिंदगी सिर्फ उनकी नहीं है बल्कि देश की है।’
यह फ्लू बॉम्बे (अब मुंबई) में एक लौटे हुए सैनिकों के जहाज से 1918 में पूरे देश में फैला था। हेल्थ इंस्पेक्टर जेएस टर्नर के मुताबिक इस फ्लू का वायरस दबे पांव किसी चोर की तरह दाखिल हुआ था और तेजी से फैल गया था। उसी साल सितंबर में यह महामारी दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में फैलनी शुरू हुई।
इंफ्लुएंजा की वजह से करीब पौने दो करोड़ भारतीयों की मौत हुई है जो विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की तुलना में ज्यादा है। उस वक्त भारत ने अपनी आबादी का छह फीसदी हिस्सा इस बीमारी में खो दिया। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं थीं। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि महिलाएं बड़े पैमाने पर कुपोषण का शिकार थीं। वो अपेक्षाकृत अधिक अस्वास्थ्यकर माहौल में रहने को मजबूर थीं। इसके अलावा नर्सिंग के काम में भी वो सक्रिय थीं।
ऐसा माना जाता है कि इस महामारी से दुनिया की एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई थी और करीब पांच से दस करोड़ लोगों की मौत हो गई थी।