उत्तराखंड के इस क्षेत्र में कोरोना से बचाव के लिए उठाए जा रहे बड़े कदम
उत्तराखंड : हरिद्वार में हर की पौड़ी ऐसा क्षेत्र है, जहाँ भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। सायंकाल हर की पौड़ी पर हजारों श्रद्धालु एक साथ पहुंचते हैं। लेकिन अब कोरोना वायरस के चलते इस क्षेत्र में व्यापक सतर्कता बरती जा रही है।
क्या है हर की पौड़ी?
हर की पौड़ी अथवा हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखंड राज्य में हिन्दुओं की पवित्र धार्मिक नगरी हरिद्वार के सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है, जहाँ प्रतिदिन लघु भारत के दर्शन होते हैं। ‘हर की पौड़ी’ को ‘ब्रह्मकुण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। ये माना गया है कि यही वह स्थान है, जहाँ से गंगा नदी पहाड़ों को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों की ओर मुड़ती है। इस स्थान पर नदी में पापों को धो डालने की अद्भुत शक्ति है और यहाँ एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न इस बात का समर्थन करते हैं। यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है, जहाँ से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है।
कोरोना के चलते इसको प्रबंध करने वाली धार्मिक संस्था गंगा सभा के अनेक कर्मचारी प्रतिदिन सुबह-शाम लंबे चौड़े क्षेत्र को पूर्ण सतर्कता के साथ सैनेटाइज कर रहे हैं।
देश में अनेक धार्मिक मंदिरों को कोरोना के भय से इसलिए बंद कर दिया गया ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ न जुटे। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ट ने बताया कि हर की पौड़ी आरती अनादि काल से हो रही है। इसे बंद नहीं किया जा सकता।
सुबह-शाम हर की पौड़ी क्षेत्र को सैनेटाइज किया जा रहा है। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से सभा लगातार प्रचार कर रही है कि श्रद्धालु सभी द्वार पर रखे सैनेटाइजर का उपयोग करें। इसके अलावा यात्रियों के हाथ धोने के लिए भी साबुन रखे गए हैं।
महामंत्री तन्यम वशिष्ट ने बताया दिनभर चलने वाले स्नान में तो यात्री फुटकर रूप से आते जाते रहते हैं। लेकिन शाम की आरती के समय चार बजे से सात बजे तक भीड़ का जमावड़ा होता है।
इस समय गंगा सभा के करीब दो दर्जन कर्मचारियों सैनेटाइजर स्प्रे के साथ चारों ओर उतरा जा रहा है। आरती के समय भी ये कर्मचारी श्रद्धालुओं के हाथों पर सैनेटाइजर का छिड़काव करते रहते हैं। कर्मचारियों को सुरक्षित रहने के लिए मास्क भी प्रदान किए गए हैं।
इसी के साथ ही साथ राज्य में कोरोना के महामारी घोषित होने के बाद यहाँ पर एपीडेमिक डिजिज एक्ट 1897 लागू कर दिया गया है।