यहां आसानी से समझें कि क्या है सीएए, एनआरसी और एनपीआर
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) –
एनआरसी का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है। एनआरसी में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने की बात कही गई है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या धर्म के हो। ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकालने का प्रावधान किया गया है। एनआरसी सिर्फ असम में लागू किया गया है जबकि सीएए देशभर में लागू किया जाएगा।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) –
सीएए में मुस्लिम बहुल्य आबादी वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भागकर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। सीएए में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है।
पूर्वोत्तर राज्यों में सीएए का विरोध इसलिए हो रहा है कि क्योंकि लोगों का मानना है कि इससे उनके इलाके में अप्रवासियों की तादाद बढ़ जाएगी, जो उनकी संस्कृति पर खतरा बन सकता है। वहीं केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सीएए का विरोध इस कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किए जाने पर हो रहा है।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( एनपीआर ) –
एनपीआर भारत में रहने वाले लोगों का एक रजिस्टर है। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है। एनपीआर देश के हर निवासी की पूरी पहचान और अन्य जानकारियों के अधार पर उनका डेटाबेस तैयार करता है। इसकी मदद से लोगों को सरकारी सुविधाओं की पूर्ति कराई जाती है।
सीएए और एनआरसी में मुख्य अंतर –
नागरिकता संशोधन कानून धर्म पर आधारित है, वहीं राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।