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पहाड़ में हर शादी ब्याह और मंगल कार्यों में शामिल सबसे लज़ीज़ पकवान – उड़द दाल के पकोड़े

भीगी दाल पीसने की रस्म किसी शुभ कार्य से पहले पहाड़ में काफी रोचक होती है। सामूहिकता की भावना से ओतप्रोत यह परंपरा उत्सव और उल्लास में सहभागिता का प्रतीक है।

उड़द की इस दाल से बने पकोड़े शुभत्व और मंगलकारी माने जाते हैं, इसीलिए सहभोज से सबसे पहले पत्तलों में दो-दो पकोड़ियां परोसी जाती हैं और बागदान, बारात, बारपैटा यानी दुणौज और सलाहपट्टा में ले जाई जाने वाली दही की परोठी पर दो पकोड़ियां बांधी जाती हैं।

किसी शुभ कार्य के खत्म होने के बाद बांटे जाने वाले अरसे जैसे मीठे पकवानों में पकोड़ों का महत्व कलाई के साथ चूड़ी जैसा है। पहाड़ में पैंणा की पकोड़ी यानी शुभ कार्य के बाद पकवान बांटना अत्यंत सम्मान की भावना को दर्शाती है। दाल पीसने वाली महिलाओं को भी सम्मानस्वरूप टीका-पिठाईं लगाई जी है।

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