हरीश रावत के सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़
राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अपने ट्वीट में उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता की बात कही है। एक के बाद एक दो ट्वीट से फरवरी के महीने में भी देहरादून से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक उथल-पुथल पैदा हो गई। हर कोई हरीश रावत के सोशल मीडिया पर किए गए ट्वीट का अलग अलग मतलब निकाल रहे हैं।
कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ हरीश रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़ा मान रहे हैं। उनका मानना है कि हरीश रावत कहीं ना कहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले हुए हैं और अंदर ही अंदर इन दोनों बड़े नेताओं का बेहतर तालमेल है।
तो वहीँ कुछ हरीश रावत को राजनीति का पंडित मान रहे हैं कुछ विशेषज्ञों का कथन है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत 2022 में भारतीय जनता पार्टी के कमजोर चेहरे साबित होंगे। अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पद से हट जाते हैं तो भारतीय जनता पार्टी 2022 में एक बार फिर से सत्ता में आ सकती है। इसलिए हरीश रावत नहीं चाहते कि त्रिवेंद्र सिंह रावत से कोई मजबूत प्रतिद्वंदी 2022 के चुनाव में उनके समक्ष खड़ा हो।
वहीं मुख्यमंत्री पद के अगले प्रबल दावेदार माने जा रहे सतपाल महाराज कहीं ना कहीं वर्ष 2017 में कांग्रेस का हार की वजह जरूर रहे हैं। कांग्रेसी विधायकों को कांग्रेस से तोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल करवाने में सतपाल महाराज का भी बड़ा योगदान है। जिसकी वजह से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 2017 का चुनाव हार गई थी हरीश रावत को कहीं ना कहीं इस बात का मलाल जरूर होगा।
सतपाल महाराज की वजह से ही कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई थी और वह मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। ऐसे में हरीश रावत कभी नहीं चाहेंगे कि सतपाल महाराज उत्तराखंड के भारतीय जनता पार्टी से नए मुख्यमंत्री बने।
मसला जो भी हो हरीश रावत के ट्विटर पर किए गए ट्वीट के बाद हर तरफ चर्चा हो रही है और हर तरफ मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाएं जोर शोर से है। फेसबुक से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप पर नेतृत्व परिवर्तन की खबरें और बहस खूब चल रही है।