अब नकली शराब के धंधे पर लगेगी रोक, लागू होगा ‘ट्रेक एण्ड ट्रेस सिस्टम’
शराब तस्करी और नकली शराब के धंधे पर प्रभावी रोक लगाने के लिये विभाग अब नई तकनीकी ‘ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम’ को लागू करने जा रहा है।
इस सिस्टम में शराब की बिक्री के पूरे सिस्टम को तकनीकि रूप से मैकेनाइज्ड किया जायेगा। शराब की प्रत्येक बोतल में क्यूआर कोड और पेटी पर बारकोड अंकित होंगे, जिन्हें स्कैन करने पर बोतल की पूरी कुण्डली सामने आ जाएगी। यह सिस्टम दिल्ली समेत कई राज्यों में लागू है।
तीन साल पहले शराब के व्यवसाय को पारर्शिता बनाने के लिये राज्य सरकार ने ठेकों पर बिकने वाली शराब की बातलों पर ‘होलोग्राम’ लगाये जाने की शुरुआत की थी। होलोग्राम पर शराब की पैकिंग तिथि व राज्य का नाम अंकित होता था। जिसे देखने से पता चल जाता था कि शराब कब और किस राज्य के लिये बनी है। तस्करों ने नकली होलोग्राम बनाने शुरू कर दिये इसके बाद इसमें सुधार करते हुये बोतलों पर ‘सिक्यॉरिटी होलोग्राम’ लगाये गये।
इन होलोग्राम की न तो नकल की जा सकती है और न ही इन्हें एक स्थान से छुड़ा कर दूसरे स्थान पर चस्पा किया जा सकता है। यदि होलोग्राम हटा कर किसी दूसरे स्थान पर लगाने का प्रयास किया गया, तो हटाते समय ही होलोग्राम फट जायेगा और उसकी ऊपरी पन्नी निकल जाएगी। लेकिन ये होलोग्राम इसलिए प्रभावी साबित नहीं हुये क्योंकि विभाग की मिलीभगत से ये आसानी से शराब व्यवसायियों के हाथ लगने लगे।
हाल ही में देहरादून में दो स्थानों पर पकड़े गये शराब के जखीरे के साथ आबकारी टीम को सैकड़ों होलोग्राम भी बरामद हुये थे। लिहाजा अब होलोग्राम से आगे की तकनीक का इस्तेमाल शराब की बिक्री में किया जाएगा वो है ट्रैक एण्ड ट्रेस सिस्टम।
ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम को एनआईसी के सर्वर से जोड़़ा जाएगा। इसके प्रयोग से डिस्टलरी से निकलने से लेकर शराब की दुकान तक प्रत्येक बोतल को ट्रेस किया जा सकेगा। ट्रैक एण्ड ट्रेस प्रणाली में शराब की प्रत्येक पेटी बार कोड और उसके अंदर की बोतलों पर क्यूआर कोड लगा दिया जाएगा।
इन कोड्स की स्कैनिंग करके शराब निर्माता की जानकारी, बॉटलिंग की तारीख व एमआरपी का विवरण जाना जा सकता है। कोई भी व्यक्ति नकली शराब की पहचान आसानी से कर सके इसके लिये मोबाइल एप भी लॉच करने पर विचार किया जा रहा है।